दिल्ली में स्थित इजरायल के दूतावास के बाहर हुए बम धमाके को 24 घंटे होने वाले हैं लेकिन इसकी जांच में अभी तक दिल्ली पुलिस के हाथ कुछ खास नहीं लगा है। अभी तक दिल्ली पुलिस के हाथ खाली ही नजर आ रहे हैं। अब पुलिस को 45000 मोबाइल फोन का डंप डाटा मिला है जिसको खंगाला जा रहा है।
30 नवंबर 2020 को ईरान एक परमाणु वैज्ञानिक की ड्रोन अटैक में हत्या हुई थी. उसके लिए ईरान के राष्ट्रपति ने सीधे तौर से इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था. इससे पहले 2012 में इजरायली राजनयिक की कार पर जो हमला हुआ था उसमें भी तार ईरान से जुड़े पाए गए थे. दिल्ली के ही एक पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था जो ईरान की न्यूज एजेंसी के लिए काम करता था.
2012 बम हमले की जांच में भी इजरायल की टॉप सीक्रेट सर्विस, मोसाद ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और भारत की खुफिया एजेंसियों की मदद की थी. ये तक कहा जाता है कि मोसाद की टिप-ऑफ से ही केस क्रैक किया गया था.
स्पेशल सेल के सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें जैश-ए-उल-हिन्द नामक संगठन यह दावा कर रहा है कि इजराइल दूतावास के पास उन्होंने ब्लास्ट किया है। उन्हें इस बात पर गर्व है। आगे यह भी कहा गया है कि यह महज शुरुआत है और भविष्य में बड़े धमाके देखने को मिलेंगे। स्पेशल सेल इस बात की जांच कर रही है कि इनके दावों में सच्चाई है या जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए यह पोस्टर वायरल किया गया है।