यूरोपियन यूनियन ने बासमती चावल को लेकर दी जाने वाली जियोग्राफिकल इंडेक्स टैग (GI tag) की पाकिस्तानी मांग को स्वीकार कर लिया है. भारत के लिए ये एक झटके से कम नहीं है, क्योंकि अगर ये टैग पाकिस्तानी बासमती चावल को मिल जाएगा तो भारत को नुकसान हो सकता है.
GI टैग किसी निश्चित क्षेत्र विशेष के प्रोडक्ट्स, कृषि, प्राकृतिक और निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) को दिया जाने वाला एक स्पेशल टैग है. यह स्पेशल पहचान उन उत्पादों को दी जाती है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं. भारत में चंदेरी की साड़ी (Chanderi Saree) , कांजीवरम की साड़ी (Kanjivaram Saree), दार्जिलिंग की चाय (Darjeeling Tea) और मलीहाबादी आम (Malihabadi Mango Aam), Kolhapuri Chappal समेत अब तक 300 से ज्यादा प्रोडक्ट्स को GI Tag मिला है.
ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में उम्दा क्वालिटी का बासमती नहीं उगता. दोनों देशों के बीच चावल को लेकर यह तनातनी लगभग वैसी ही है, जैसी रसोगुल्ला को लेकर ओडिशा-बंगाल में. दोनों राज्य दावा करते हैं कि उनका बनाया हुआ रसोगुल्ला बढ़िया है और ज़्यादा ओरिजिनल.