सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल अक्तूबर में दिए शाहीन बाग फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि धरना प्रदर्शन लोग अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि विरोध जताने के लिए धरना प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन उसकी भी एक सीमा तय है।
पिछले साल 7 अक्टूबर को अमित साहनी बनाम दिल्ली पुलिस कमिश्नर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि शाहीन बाग में CAA विरोधी प्रदर्शन के लिए जिस तरह से लंबे समय के लिए सार्वजनिक सड़क को रोका गया, वह गलत था. विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़क को इस तरह से नहीं बाधित किया जा सकता है. कनीज फातिमा समेत कई लोगों ने इस फैसले पर दोबारा विचार की मांग की थी.
पुनर्विचार याचिकाओं के लिए तय प्रक्रिया के तहत 9 फरवरी को जस्टिस संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की बेंच ने याचिका को बंद कमरे में देखा. जजों ने मामले में एक संक्षिप्त लिखित आदेश पारित किया है. इसमें लिखा गया है, “हमें नहीं लगता कि मामले में दिए गए फैसले में कानूनी तौर पर कोई कमी है. इसलिए, उस पर दोबारा विचार नहीं हो सकता.”