BMC चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला है। बीएमसी की सत्ता पाने के लिए मुंबई में सियासी हलचल बढ़ गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीएमसी में किसकी और कैसे बनेगी सरकार ? गुरुवार को बीएमसी की 227 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे सामने आए। शिवसेना और बीजेपी के बीच टक्कर बेहद दिलचस्प रही और जहां शिवसेना को 84 सीटें मिली, वहीं भाजपा को 82 सीटें मिली। महाराष्ट्र में कुल निकाय के लिए चुनाव हुए थे, जिसमें से 8 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया।
तमाम विकल्पों की चर्चा के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के ऐसे बयान आए हैं, जिनसे साफ संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी और शिवसेना में बीएमसी की सत्ता हासिल करने के लिए संभावना अभी खत्म नहीं हुई है। हालांकि दोनों ही पक्ष मेयर पद के लिए दावा कर रहे हैं, लेकिन साथ ही एक दूसरे के साथ मिलकर बीएमसी पर काबिज होने की संभावनाओं से इनकार नही कर रहे।
BMC चुनावों के पहले से ही हालांकि किसी के साथ गठबंधन न करने की बात कहने वाले उद्धव ठाकरे के सुर थोड़े नरम पड़े हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात पूछने पर उद्धव ने कहा,”अभी कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। फिलहाल मैं जीत का जश्न मनाने में मशगूल हूं। दरअसल, शिवसेना BMC में बहुमत का आंकड़ा पूरा करने के लिए कांग्रेस से हाथ मिला सकती है। कांग्रेस की ओर से शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश भी की गई है।
गठबंधन का क्या फॉर्मूला हो सकता है ?
शिवसेना और बीजेपी के पास विकल्प क्या हैं ये आपको बताएं उससे पहले अन्य के पास जो 14 सीटें हैं उनका समीकरण समझना बेहद जरूरी है। 14 अन्य में समाजवादी पार्टी की 6 सीटें हैं, 3 सीटें ओवैसी की पार्टी AIMIM के पास हैं, 4 निर्दलीय हैं, और 1 सीट अरूण गवली की पार्टी अखिल भारतीय सेना के पास है, जिस पर उनकी बेटी गीता गवली ने जीत हासिल की है। यदि शिवसेना और बीजेपी हाथ नहीं मिलाते हैं, तो बीएमसी के लिए तीन पर्याय सामने आते हैं.
पहला पर्याय
शिवसेना कांग्रेस से हाथ मिला ले, मतलब शिवसेना के 84 और कांग्रेस के 31 मिलकर हुए 115, यानि बहुमत से 1 सीट ज्यादा
दूसरा पर्याय
शिवसेना यदि एनसीपी, एमएनस और अन्य को साथ मिला ले, मतलब 84, 9, 7 और 14, मिलकर हुए 114, यानि बहुमत के बराबर
तीसरा पर्याय
बीजेपी यदि एनसीपी, एमएनएस और अन्य को साथ मिलाकर दावा करे, मतलब 82, 9, 7 और 14, मिलकर हुए 112, यानि बहुमत से 2 कम
चौथा पर्याय
शिवसेना और बीजपी आपस में बात करके ढाई-ढाई साल के लिए अपना मेयर बना लें, लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच हैं, उससे इस विकल्प के आसार बेहद कम नजर आ रहे हैं।
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