छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार को निधन हो गया. अजीत जोगी को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह 20 दिन से रायपुर के अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन की जानकारी उनके बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर दी.
अमित जोगी ने लिखा कि 20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया. केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं,अपना पिता खोया है. अजीत जोगी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़कर, ईश्वर के पास चले गए. गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा,हमसे बहुत दूर चला गया.
अजीत जोगी का निधन 74 साल की उम्र में हुआ. बीते कई दिनों से उनकी तबीयत में उतार-चढ़ाव आ रहा था. सांस लेने में तकलीफ महसूस होने के बाद उन्हें 9 मई को रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब डॉक्टरों ने कहा था कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ है. हालात को बिगड़ता देख डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था. अस्पताल में भर्ती होने से पहले उन्होंने प्रवासी मजदूरों के हालत पर ट्वीट किया था और केंद्र सरकार से मांग की थी कि जैसे विदेशों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए वंदे भारत चालू किया गया है वैसे ही मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया जाना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के पहले सीएम थे अजीत जोगी
छत्तीसगढ़ के गठन के साथ ही अजीत जोगी राज्य की सियासत के धुरी बन गए. छत्तीसगढ़ की राजनीति हमेशा अजीत जोगी के इर्द-गिर्द घुमती रही है. अजीत जोगी ने वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की पहली बार शपथ ली तो उनका वो बयान इतिहास के पन्नों में उन अमिट पंक्तियों की तरह दर्ज हो गया जिसे हर राजनीतिक विश्लेषक बार-बार दोहराता है.
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेते हुए अजीत जोगी ने कहा था, “हां मैं सपनों का सौदागर हूं. मैं सपने बेचता हूं.” लेकिन वर्ष 2000 के बाद वह सियासत के ऐसे सौदागर साबित हुए जो राजनीति के शीर्ष पर पहुंचने के सपने को दोबारा साबित नहीं कर पाया.
दो बार राज्यसभा सदस्य, दो बार लोकसभा सदस्य, एक बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा उनके खाते में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. उनकी इच्छाशक्ति और जिजीविषा को एक मिसाल के तौर पर देखा जाता है. उनके राजनीतिक करियर में आने को लेकर तमाम किस्से हैं, जो तैरते मिल जाते हैं.
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