जौनपुर: गोरखपुर के जननायक कर्पूरी ठाकुर सेवा समिति (रजि.) सम्मेलन में शिल्पकारों की समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ठाकुर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि आजादी का ढिंढोरा पीटते-पीटते 67 साल गुजर गए हैं। सन् 1950 में बने धारा 122 (ग) में संशोधन द्वारा निश्चित किया गया कि भूमिहीन व गरीब ग्रामीण शिल्पकारों को जुलाहा, बढई, लोहार, दर्जी, कुम्हार, मोची, स्वर्णकार, नाई, धोबी आदि को आवास, रोजगार व कृषि के लिए भूमि आबंटित कर एवं उनके निवास को आबादी बहाल कर स्वामित्व प्रदान किया जाएगा; मगर आज तक ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि खेद है कि आज भी समाज के इस महत्वपूर्ण वर्ग को सर्वहारा बनाकर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया गया है। जमींदारी उन्मूलन घोषणा के बावजूद उनके आवास और रास्ते जमींदारी उत्पीड़न से नहीं है, जबकि धारा 123 (2) के ज.वो.अ. के अंतर्गत जमीदारों के जमीन में बसे लोगों को आबादी का अधिकार देते हुए उन जमीदारों का खतौनी से नाम हटाया जाय और यह भी याद रहे कि इन शिल्पकारों का आजादी के गौरवपूर्ण संघर्ष में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है और आजादी के बाद भी देश के निर्माण का समाज के विकास में भूमिका को अनदेखा नही किया जा सकता है।
अब जननायक कर्पूरी ठाकुर सेवा समिति (रजि.) जननायक कर्पूरी ठाकुर संघर्ष मोर्चा व महामुक्ति संघ महामुक्ति दल ने राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि समस्त शिल्पकारों के हक अधिकार मुहैया कराने की अविलंब कोशिश की जाय और ऐसा नहीं किया गया तो राजेंद्र प्रसाद ठाकुर कहा है कि अन्यथा 2019 के चुनाव में करनी का फल भुगतने के लिए तैयार रहे। उन्होंने सभी शिल्पकारों को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा है।
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