देश की कई अहम सरकारी वेबसाइट के हैक होने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। सरकारी महकमें भले ही इसका हल न निकाल पा रहे हों, लेकिन एक प्रोफेसर के पास इसका जवाब है। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय के मुताबिक अगर सरकारी वेबसाइट के पासवर्ड के लिए देवनागरी लिपी और कम प्रचलित शब्दों का इस्तेमाल करें, तो इसे हैक करना असंभव हो जाएगा। यह प्रयोग केंद्र सरकार का एक विभाग कर चुका है। डॉ. उपाध्याय का दावा इसलिए भी ठोस हो जाता है, क्योंकि जिन संस्थानों ने उनका सुझाव मानते हुए देवनागरी लिपी में अपने पासवर्ड रखे, उनकी वेबसाइट कभी हैक नहीं हुई। डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने संचार मंत्रालय को 2012 में अपनी वेबसाइट का पासवर्ड हिंदी में रखने का सुझाव दिया था।
नतीजतन इसके बाद उसकी वेबसाइट कभी हैक नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के पासवर्ड हैक करना काफी आसान होता है, लेकिन संस्कृत और हिंदी में कई ऐसे कम प्रचलित शब्द हैं जिन्हें हिंदी में अच्छी पकड़ के बिना देवनागरी लिपी में लिख पाना मुश्किल होता है। विदेश में बैठे हैकरों के लिए तो यह लगभग असंभव होगा। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि पासवर्ड के लिए हमारे पौराणिक और मिथकीय नामों के अलावा वृक्षों, वनस्पतियों और देवी देवताओं के कम प्रचलित नामों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर भारत सरकार के तमाम मंत्रालय और कार्यालय अपनी वेबसाइट के पासवर्ड के लिए यह उपाय करें तो हैकिंग की समस्या से निपटा जा सकता है।
जानकार भी सहमत –
जाने माने साइबर अपराध विशेषज्ञ और वकील प्रशांत माली ने भी कहा कि यह सुझाव अच्छा है। हिंदी ही नहीं दूसरी स्थानीय भाषाओं का भी पासवर्ड के लिए इस्तेमाल किया जाए, तो हैकिंग बेहद मुश्किल हो जाएगी। सरकारी वेबसाइट ऐसा कर हैकरों से बच सकतीं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को ऑनलाइन कामकाज में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
10 महीने में 22 हजार बेवसाइट हैक –
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच कुल 22 हजार 207 भारतीय वेबसाइट्स हैक हुईं थीं। इनमें 114 सरकारी वेबसाइट्स थीं। कुछ दिनों पहले ही रक्षा, गृह समेत केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों के हैक होने का दावा किया गया था लेकिन बाद में स्पष्टीकरण दिया गया था कि तकनीकी वजह से वेबसाइट काम नहीं कर रहीं थीं। हैकिंग के ज्यादातर मामलों के पीछे पाकिस्तान और चीन में बैठे हैकर होते हैं।