दीपक खेर द्वारा हृदयेश मयंक के ग़ज़लों की संगीत बद्ध प्रस्तुति

मुख्तार ख़ान | NavprabhatTimes.com 

जनवादी लेखक संघ, महाराष्ट्र के कार्याध्यक्ष- जनाब हृदयेश मयंक की चुनिंदा ग़ज़लों के गायन का कार्यक्रम सायं दिनांक 17 जून 2017 को उप नगर मीरा रोड(ठाणे) में हुआ। उनकी ग़ज़लों की संगीत बद्ध प्रस्तुति गायक जनाब दीपक खेर ने की। दीपक जी के साथ तबले पर जनाब संतोष थे, तो की बोर्ड पर म्हात्रे जी ने संगति दी। पूरे कार्यक्रम में संगीत की उपस्थिति शब्द के स्वर को बहने के लिए मंद समीर की तरह थी। संगीत का भाव -भान पारिजात या बेला के मादक सुगंध की तरह था।

आमतौर पर ग़ज़लों के कार्यक्रम में वाद्ययंत्रों की इतनी नुमाइश होती है कि शब्द व भाव वाद्यों के सात सुरों में डूब -से जाते हैं। शायर के भाव -विचार संगीत के उत्तेजक स्वर लहरी में रास्ता तलाशते भटकते रहते हैं। श्रोताओं को महज वादकों की लयकारी धुन ही सुनाई व दिखाई देती है। शायर के शब्द निरीह बन कर कभी एक वाद्य के पास तो कभी दूसरे वाद्य के पास स्पेस पाने के लिए गिड़गिड़ाते रहते हैं, पर गायन की इस महफिल में शायर के भाव, विचार, शब्द संस्कार, भाषिक व अलंकारिक संरचना सरल, सुमधुर व सुबोध बन कर श्रोताओं के दिलो-दिमाग को मुतास्सिर कर रहे थे। इस बोधगम्य प्रस्तुति के लिए शायर की सरल व अर्थवान् ग़ज़लें तो थीं हीं ,पर गायक दीपक जी का सधा स्वर भी बिना राग-रागिनियों की गली में भटके संगीत के राग(राज)मार्ग पर आहिस्ता-आहिस्ता शब्द स्वर व संगीत स्वर के साथ लय मिलाते हुए मौशिकी के बगीचे में मानो टहल रहे हों। पहली बार देखने में आया कि गायक शायर को पूरा सम्मान दे रहा था। शायर के प्रति कृतज्ञता का भाव उसके स्वर को और सुकोमल बना रहा था।

हृदयेश मयंक

दीपक जी ने विविध रागों में ग़ज़लों की प्रस्तुति की ,जिनमें प्रमुख हैं – राग भोपाली, राग दरबारी, राग मल्हार, राग भैरवी तथा राग बिलावल। उन्होंने इन रागों का मात्र संबल लिया, वे इन रागों के ठाठ व उनकी विशिष्टाओं में नहीं गए, जैसा कि आमतौर पर होता है। दीपक जी ने मयंक जी के हर रंग को प्रस्तुत किया। जन चेतना से लैस ,जीवन संघर्ष को गति देने वाली ग़ज़लें, किसान, मज़दूर व कुदरत के साथ सुर में सुर मिलाने वाली गज़लें, तो दूसरी तरफ परंपरा (रिवायती) के साथ व चलने व उससे आगे ले जाने वाल कलाम भी दीपक जी ने बड़े ही आदर व मोहब्बत से प्रस्तुत किए।

इस संगीत शाम का संचालन जनवादी लेखक संघ के साथी जनाब मुख्तार ख़ान ने किया। मुख्तार जी ने महज संचालन ही नहीं किया अपितु मयंक की ग़ज़लों के मिज़ाज से मिलते-जुलते मक़बूल शायरों के शेर भी सुनाए। इस मोहब्बत भरी शाम को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त सिन्धी, हिन्दी व उर्दू रचनाकार जनाब लक्ष्मण दुबे ने अपना स्नेह दिया। महफिल में शहर के लगभग सभी अहम् अदीब, शायर मौज़ूद थे और सभी ने कार्यक्रम की जी भर कर सराहना की।

कार्यक्रम के अंत में उर्दू के प्रसिद्ध शायर शमीम अब्बास ने अपनी दो ग़ज़लों का पाठ किया। प्रीति भोज के बाद सब अलविदा हुए। इस तरह से एक खुशनुमा शाम को लोग अपनी स्मृतियों में सँजोए घर लौटे।

2 COMMENTS

  1. खान साहब यह कार्यक्रम मैं रामचंद्र विश्वकर्मा अपने साथी प्रेमचंद विश्वकर्मा के साथ श्री लक्ष्मण दुबे मौजूद था कार्यक्रम की शुरूआत से लेकर अंत तक हम मौजूद रहे और एक अच्छे कार्यक्रम के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई मेरा मोबाइल नंबर 93 206 24400 है अगला कोई कार्यक्रम कोई हो तो कृपया हमें बताएं हम जरूर आएंगे आपका रामचंद्र विश्वकर्मा

इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दें