मुंबई: मुंबई के अनुदानित विद्यालय के शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों का मासिक वेतन मुंबई बैंक से शुरू करने के राज्य के निर्णय के विरुद्ध मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका की गई है। इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
मुंबई टीचर्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष जनार्दन जंगले ने मुंबई के शिक्षकों का मासिक वेतन मुंबई बैंक से शुरू करने के राज्य के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका की है। इस याचिका में शिक्षण सचिव प्रतिवादी हैं। शिक्षा विभाग द्वारा 3 जून को एक आदेश जारी किया गया था, जिसके अनुसार शिक्षकों का मासिक वेतन वर्तमान राष्ट्रीयकृत यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से बदलकर मुंबई जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में भेजा जायेगा। याचिकाकर्ता के अनुसार यह सरकार का निर्णय गलत है।
19 अगस्त 2005 के आदेश के अनुसार शिक्षकों के वेतन संबंधी निकष निर्धारित किए गए थे। इस आधार पर शिक्षकों का वेतन मुंबई बैंक को सौंपना निकष के अनुसार पूर्ण रूप से गलत है, ऐसा दावा अर्जदार ने किया है। राज्य सरकार से जिन बैंकों का करार हुआ है, उनकी सूची तैयार की गई है। निर्धारित शर्तों व नियमों के अनुसार ही बैंकों को वेतन देने का काम सौंपा जाता है, ऐसा 19 अगस्त 2005 के आदेश में बताया गया है। राज्य सरकार की इस सूची में मुंबई बैंक का नाम ना होने की बात याचिकाकर्ता ने की है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस निकष के आधार पर मुंबई बैंक को वेतन सौंपना बिल्कुल गलत है।
इसके अतिरिक्त 2011 से राज्य सरकार द्वारा मुंबई के शिक्षकों का वेतन यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा दिया जा रहा है। उस समय से अब तक वेतन मिलने में शिक्षकों को कोई भी परेशानी नहीं हो रही है। यूनियन बैंक एक राष्ट्रीयकृत बैंक है। उसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से सभी शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी प्रसन्न हैं। ऐसे में बैंक बदलने का अर्थ कुछ समझ नहीं आता। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह निर्णय पूर्ण रूप से पक्षपाती है और संशयास्पद है।
गौरतलब है कि 3 जून 2017 को राज्य सरकार द्वारा मुंबई के अनुदानित विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों का मासिक वेतन वर्तमान यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से हटाकर मुंबई जिल्हा मध्यवर्ती सहकारी बँक लिमिटेड से किए जाने का आदेश जारी किया गया। जिसके बाद मुंबई के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों ने सरकार के इस आदेश को पक्षपाती करार देते हुए विरोध प्रदर्शन व जगह-जगह पर मोर्चे निकाले व धरना प्रदर्शन भी किया, इसके बावजूद राज्य सरकार के कान पर जूं तक न रेंगी।
राज्य शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने भी की थी मुंबई बैंक की शिकायत
मुंबई बैंक के आर्थिक घोटालों का विचार करें तो यह बैंक आर्थिक दृष्टि से बहुत कमजोर हो गया है। वर्तमान शिक्षण मंत्री विनोद तावडे जब विपक्ष में थे, तो उन्होंने इस बैंक के विरोध में 17 अक्टूबर 2013 को शिकायत भी की थी। याचिकाकर्ता ने इस बात की तरफ भी अपनी याचिका में ध्यान खींचा है।