कोरोना के खिलाफ जंग में योद्धा की भूमिका निभा रहा है साकीनाका का यह नवयुवक

नीरज विश्वकर्मा

मुंबई: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टर, स्वास्थ्य व सुरक्षा कर्मियों के साथ ही अन्य सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी योद्धा की तरह अपनी-अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इन सभी के साथ ही बहुत से आम लोग भी अपने घरों से बाहर निकलकर लोगों की सहायता कर रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो प्रतिदिन हमारी नजरों के सामने से गुजरते हैं। वे परिश्रम तो कठोर करते है, लेकिन सुर्खियों में कम ही रहते है। इन्हें न खाने की चिंता होती है, न ही इनके घर जाने का कोई समय होता है। पर सब परेशानी भूलाकर वे सेवा कार्य में लगे रहते हैं।

मुंबई के साकीनाका की एक छोटी सी गली में रहनेवाला ऐसा ही एक नवयुवक है – नीरज विश्वकर्मा, जो कोरोना वायरस के कारण शुरू हुए लॉकडाउन के प्रारंभ से लेकर अब तक क्षेत्रीय लोगों की सहायता में जुटा हुआ है। केवल 19 वर्षीय यह नवयुवक स्थानीय संस्थाओं की मदद से जरूरतमंदों में भोजन व खाद्यसामग्री पहुँचाने से लेकर श्रमिक ट्रेनों द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके गांव वापस पहुँचाने के कार्य में जुटा हुआ है।

हमने जब नीरज विश्वकर्मा से उनके इस तरह कार्य करने के जज्बे के बारे में बात की, तो इस नवयुवक ने जो बात कही, वह दिल को छू गई। नीरज ने कहा,

“मै एक आम नागरिक हूँ, इसलिए आम लोगों की तकलीफ को भलीभाँति समझता हूँ। मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए मैंने स्थानीय नेताओं व संस्थाओं की मदद से लॉकडाउन  के दौरान गरीबों तक भोजन पहुँचाने का पूरा प्रयास किया। हमने कई हफ़्तों तक भोजन व खाद्य-सामग्री सैकड़ों जरूरतमंदों तक पहुंचाई। श्रमिक ट्रेनों के लिए हमने लगभग 1200 लोगों का फार्म जमा करवाया, उनकी सूची बनवाई और प्रशासन की मदद से उन्हें उनके गांव पहुंचवाया। यह कार्य मैंने स्थानीय समाजसेवक अशोक यादव के मार्गदर्शन में किया, जिसमे उनका पूरा सहयोग मुझे प्राप्त हुआ। मै गरीब भले हूँ, पर मेरा दिल बहुत अमीर है। मै इसी तरह सदैव सेवा कार्य से जुड़ा रहूँगा। “

स्थानीय लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के डर से नीरज कभी घर पर बैठा नहीं रहा। छोटे स्तर पर ही सही, पर पिछले तीन महीनों से लगातार वह सेवाकार्य में जुटा है। वह एक असली कोरोना योद्धा हैं।

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