- शंकर वर्मा / जयसिंह राजपूत
जौनपुर, गौराबादशाहपुर। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी विजयदशमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। हालाँकि सभी पर्वों की अपनी-अपनी महत्ता है, किंतु दशहरा पर्व जीवन के सभी पहलुओं के सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करता है। दशहरे के बाद अन्य अनेक त्यौहार आएंगे, लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा।
दशहरा दस पापों को हरने वाला, दस शक्तियों को विकसित करने वाला, दसों दिशाओं में मंगल करने वाला और दस प्रकार की विजय देने वाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते हैं। यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है।
शुक्रवार को दशहरा पर्व पर घरों में विशेष पूजन किया गया। जहां लोगों ने शस्त्र पूजन किया, वहीं, हवन व यज्ञ भी आयोजित किए गए। आज के दिन अहंकार रूपी रावण को जलाकर लोग इस अनोखे पर्व को मनाते हैं।