चर्चित नीलम गैलेक्सी संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी के मुकदमे की तैयारी

कानपुर । भ्रष्टाचार को मिलाने के कितने भी बड़े बड़े प्रयास योगी-मोदी सरकारे क्यों न कर ले किन्तु सरकारी विभागो की सरकारी मिशनरी में भ्रष्टाचारी नम्बर वन बनने की होड़ मची सी पड़ी है। जिसमें कम समय से अधिक से अधिक सम्पत्ति कमाने का अभियान चल रहा है। बाद में भले ही उसका किसी तरह का परिणाम क्यों न हो क्योंकि कमाऊ सीटों पर बैठे अधिकारियों के दिलो दिमाग में यह बात बैठी पड़ी है की पहली बात जांच आई तो जांच में बाबू या अधिकारियों पर गाज गिरेगी किसी तरह उनका नम्बर आया तो ज्यादा से ज्यादा निलंबन उसके बाद जांच में होना  ही क्या है? ऐसे ही एक विभाग कानपुर विकास प्राधिकरण जो विभाग खुद इतना अधिक कीमती है। जिसे संभाल कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पास रख रखा है। उस संवेदन शील विभाग के यह हालात हैं कि महीनों से यहां उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिससे बिल्डरों व अधिकारियों की सांठ-गांठ से हुए लम्बे-लम्बे हेरफेरो का आए दिन खुलासा होता जा रहा है। हालांकि अभी तक पूर्व की विपक्षी सरकारों में हो रहे भ्रष्टाचार के खुलाशे हो रहे हैं। जबकि सीज बिल्डिंगों को निर्माणाधीन कराकर व्यवसाकीकरण के मामले अभी भी दबे हुए हैं। ऐसे ही एक मामला यहां उस समय खुला जब तीन मंजिला मकान बहुमंजिली इमारत में तब्दील होकर पार्ट टू पार्ट फ्लैट बनाकर बेचकर करोड़ों रुपया इक्ट्ठा करके बिल्डर भूमिगत हो गया। जिसमे बैंक की ओर से नीलामी की नोटिस के बाद के.डी.ए. अधिकारियों व बिल्डर की सांठगांठ का खुलासा हुआ इसे पढ़िए विस्तार से :-

कानपुर। कानपुर विकास प्राधिकरण में अधिकारियों व बिल्डर्स की सांठ-गांठ की बातें अक्सर सुर्खियां बनती रहती हैं। ऐसा ही एक मामला शहर के चर्चित बिल्डर्स का खुला। जिसकी बिल्डरों में अपनी एक बड़ी साख है। इन्होंने पांच-छह वर्ष पूर्व केशव नगर में नीलम ग्लैक्सी के नाम पर बहुमंजिली इमारत बनवाकर लगभग 26 फ्लैट बनाकर करोड़ो रुपये इकट्ठा कर लिए गये। उसके बाद  बैंक की वसूली नहीं दी गई। लिहाजा अपने पास गिरवी खड़ी बिल्डिंग में नीलामी का नोटिस लगा दिया। जिससे बिल्डिंग के 26 फ्लैट मालिकों का स्वामित्व खतरे में है। इसी संकट से घबराए लोगों ने जब पता लगाया तो पता चला कि इस बहुमंजिली इमारत में मामूली रिहायश के नाम पर तीन मंजिल का ही नक्शा बनवाया गया था। जिसकी पड़ताल जूनियर सीनियर इंजीनियरों ने कैसे की थी। जो व्यवसायिक भूखंड में कैसे स्थापित हो गया। यह जांच का मुख्य विषय है। आपको बताते चलें कि शहर के चर्चित बिल्डर समरजीत श्रीवास्तव ने 127/529 केशव नगर में नीलम ग्लैक्सी के नाम से एक व्यसायिक  इमारत बनाकर 26 फ्लैट बनाए थे। चूकि नीलम के नाम के शहर में बड़ी ख्याति है। लिहाजा यहां फ्लैट लेने वालों की होड़ सी मच गई। लोगों ने 30 लाख मिनिमम रेत लेकर से अलग-अलग रेटो के फ्लैट बुक कर लिए। जिसके पैसे की अदायगी भी हो गई। कम्पनी सूत्र बताते हैं कि 5 सितम्बर 2013 को केशव नगर की 376 गज की 127/529 में  समरजीत श्रीवास्तव ने गुमटी स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा से प्लाट के कागज गिरवी रखकर 39 लाख रुपये का लोन मकान बनवाने के नाम पर ले लिया था। चूकि बैंक के पास जमीन के कागज थे। लिहाजा उसने पेमेंट कर दिया। दूसरी तरफ इस बिल्डिंग को रिहायशी आवाज दिखाकर कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की सांठ-गांठ से नक्शा लेकर नीलम गैलेक्सी बनाकर 26 फ्लैट बेच डाले। जिनकी मिनिमम कीमत 30 लाख रूपये थी। इस तरह से गिरी हाल में 26 फ्लैटों से सात करोड़ रुपए वसूल लिये गये। जबकि नीलम नामक यह फर्म अगर चाहती तो बैंक की अदायगी उसी समय कर दी होती। किन्तु अब ऐसा नही हुआ। अब सात वर्ष बाद समयावधि पर बैंक को पूरी तरह से पैसा देना तो दूर दसवां भाग भी अदायगी में नही दिया तो इक्कतीस में नही दिया तो 31 लाख रुपये और अतरिक्त ब्याज की अदायगी के लिए बैंक ने उस कैम्पस के बाहर 19 मार्च को नीलामी की नोटिस लगा दी।  जिससे 26 फ्लैट नीलम ग्लैक्सी के निर्माता को तलाशने में जुट गये है। किन्तु वह भूमिगत हो गये है। लिहाजा 19 मार्च को अगर नीलामी की कार्यवाही होती है तो फ्लैट स्वामित्व आर पार की लड़ाई पर अमादा है।

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