विनचेस्टर विश्वविद्यालय का मानना है कि यह “प्रेरणादायक” स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता की दुनिया की पहली आदमकद मूर्ति है।लेकिन छात्रों के संघ ने कहा कि फंड बेहतर खर्च किए जा सकते थे।विश्वविद्यालय ने कहा कि परियोजना के लिए छात्र सहायता या स्टाफिंग से “कोई पैसा नहीं लिया गया”।
यूनिवर्सिटी एण्ड कॉलेज यूनियन (UCU) की विनचेस्टर शाख, जो विश्वविद्यालयों के अकादमिक स्टाफ का प्रतिनिधित्व करती है ने इस स्मारक को ‘वैनिटी प्रोजेक्ट’ करार देते हुए खारिज कर दिया है. UCU ने कोरोना महामारी के संकट के बीच मूर्ति पर व्यर्थ पैसा खर्च करने की आलोचना की है.
UCU ने एक बयान जारी कर कहा है कि मूर्ति के लिए खर्च किए गए पैसे का उपयोग सेवाओं में कटौती जैसे कार्यों को रोकने के लिए किया जाना चाहिए था. स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष ने साफ किया है कि वे ग्रेटा थनबर्ग के जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण संबंधी योगदान पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि उनका विरोध फिजूलखर्जी को लेकर है.