अमेरिकी कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है, जिसमें उन्होंने एच1 वीजा (H-1B visa) पर बैन लगा दिया था. कोर्ट के इस फैसले के लिए जमीन भारतीय मूल के जज अमित मेहरा ने तैयार की थी, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के वीजा बैन के फैसले पर ये कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को वीजा या अप्रवासन संबंधी फैसला लेने का अधिकार है ही नहीं
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय उत्पादक संघ, यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स, राष्ट्रीय खुदरा व्यापार संघ और टेकनेट के प्रतिनिधियों ने वाणिज्य मंत्रालय और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के खिलाफ वाद दाखिल किया था. उत्पादकों के राष्ट्रीय संघ (एनएएम) ने कहा कि इस फैसले के तुरंत बाद वीजा संबंधी प्रतिबंध स्थगित हो गए हैं जो उत्पादकों को अहम पदों पर भर्ती से रोकते थे और ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, विकास और नवोन्मेष में वे संकट का सामना कर रहे थे.
उल्लेखनीय है कि ट्रम्प ने जून में शासकीय अदेश जारी किया था जिससे इस साल के अंत तक एच-1बी वीजा और एच-2बी, जे एवं एल वीजा सहित विदेशियों को जारी किये जाने वाले अन्य वीजा पर अस्थायी रोक लग गई थी. राष्ट्रपति का तर्क था कि अमेरिका को अपने घरेलू कामगारों की नौकरी बचाने और सुरक्षित रखने की जरूरत है खासतौर पर तब जबकि कोविड-19 महामारी की वजह से लाखों नौकरियां चली गई हैं.