सूरज कुमार | NavprabhatTimes.com
झांसी: मेडिकल सेवाएं आज मनुष्य की प्राथमिक जरूरत बन गई हैं। इसमें ज़रा भी लापरवाही जीवन के लिए खतरा बन सकती है। गोरखपुर की घटना इसका ताज़ा प्रमाण है। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज जैसे हालात बन रहे हैं। यहां एक बार फिर दवाएं खत्म हो गई हैं। जीवन रक्षक दवाएं भी खत्म होने को हैं। बकाया भुगतान नहीं होने के कारण कंपनियों ने सप्लाई देने से भी इंकार कर दिया है। मरीज बाहर से दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि गोरखपुर में ऑक्सीजन की सप्लाई न होने की वजह से कई बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी सूबे का स्वास्थ्य विभाग जागृत नहीं हुआ है। अब झांसी के मेडिकल कॉलेज में दवाएं खत्म हैं। कॉलेज प्रशासन ने शासन स्तर से कई बार पत्राचार किया, लेकिन अब तक बजट नहीं मिल सका है। नाम को ही बची हैं। यदि शीघ्र ही व्यवस्था नहीं हुई, तो मरीजों की जान पर बन सकती है। सितंबर के शुरूआती सप्ताह से ही बजट खत्म हो गया था। इसके बाद उधारी पर दवाओं की खरीद शुरू की गई थी। नियमानुसार कुल बजट का दस फीसदी ही उधार दवाएं खरीद सकते हैं, जिसकी सीमा भी अब पूरी हो चुकी है। ऐसे में अब मेडिकल कॉलेज दवाएं भी खरीद नहीं सकता।
दूसरी तरफ, शासन स्तर से रेट कांट्रेक्ट होने वाली कंपनियों ने भी दवाएं देने से साफ इंकार कर दिया है। उनका लगभग 38 लाख रुपये मेडिकल कॉलेज पर उधार है। अब ओपीडी, वार्ड और इमरजेंसी के मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। अब हाल यह है कि डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। ऐसे में गरीब मरीजों के लिए दवाएं खरीदने में आर्थिक समस्या आड़े आ सकती है।