आनंदप्रकाश शर्मा,
रेटिंग: २ स्टार
अति महत्वाकांक्षी लडकियों को सीख देती फिल्म इश्क़ जूनून का कास्ट दिव्या सिंह, राजबीर सिंह, अक्षय रंगशाही ने की है संजय शर्मा के निर्देशन में बन रही फिल्म युवाओं में जोश भरने का कार्य करेंगी। जिससे युवा अपने लाइफ स्टाइल को आसानी से जीने में सफल होगा। फिल्म इश्क जुनून के निर्माता अनुज शर्मा और विनय गुप्ता है।
इश्क जुनून में महत्वाकांक्षा होना एक अलग बात है, पर अगर यही महत्वाकांक्षा की अति हो जाए तो इंसान, इंसान नहीं रह जाता। कुछ यही है फिल्म इश्क़ जुनून की जुनूनियत की कहनी। इस फिल्म के कथा की शुरुवात होती हैं पाखी ( दिव्या सिंह ) से जिसकी शादी होने जा रही थी, लेकिन पिता के कहने के अनुसार पाखी को इस शादी में कोई रूची नहीं होती है वह पिता का कहना मानकर अपनी उड़ान भरने के लिये तैयार हो जाती है और अपने पंख फैला कर उड़ने की कोशिश करने लगती है और उसने ऐसा ही किया। घरवालो से लड़ लड़ -झगड़ कर शहर चली जाती है, आज़ाद पक्षी की तरह उड़ने की पूरी तैयारी में है।
पाखी को पैसो से खूब प्यार हैं, इसलिए वह कहती है, एन्जॉय लाइफ पर शादी के चक्कर में ना बाबा ना । खैर एक दिन उसे एक पैसे वाला लड़का यानि राज ( राजबीर सिंह ) से उसकी मुलाकात होती हैं और फिर दोनों में प्यार, कहानी में मोड़ तब आता हैं जब राज अपने फॉर्म हाउस में पाखी को ले जाता हैं जहाँ पाखी की मुलाकात वीर ( अक्षय रंगशाही ) से होती हैं और पाखी को पता चलता हैं की वीर तो राज से भी धनी हैं, पाखी राज को छोड़ वीर को अपनाना चाहती हैं, पर यहाँ से कहानी आपको मैं नहीं बताऊंगा, क्योंकि कुछ सस्पेन्स भी है। फिल्म का क्लामेक्स खुल जायेगा, आपको फिल्म देखनी होगी, आखिर पाखी राज या वीर किसे चुनती हैं?
क्या पाखी की महत्वाकांक्षा उसके आगे आती है? इतना जरूर कहता हूँ कि यह फिल्म उन लड़कियों के लिए एक सन्देश जरूर दे रही है, जिनकी चाहत में सिर्फ और सिर्फ पैसे और अधिक महत्वाकांक्षा है। अभिनय की बात करे तो पाखी ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, फिर सीन बोल्ड हो या कोई और राजबीर और अक्षय ने भी अपने किरदार को जस्टिफाय करने की एक अच्छी कोशिश की हैं।
संगीत की बात करते हैं। सिंगर वरदान सिंह का गीत ‘कभी यु भी आ मेरे दिल में’ पहले ही पॉपुलर हो ही चुका है, संगीत उम्दा है। सिनेमा घर के बाहर निकलते ही आप को याद रह जाते हैं, वैसे काफी अरसे के बाद इस तरह के गाने सुनने को मिले हैं।
कमजोर कड़ी हैं फिल्म का निर्देशन, कहानी काफी अच्छी है पर एक बात समझ में नहीं आई कि फिल्म को इतना बोल्ड बनाने की जरुरत क्या थी! अगर यह फिल्म में कुछ बोल्ड सीन और इंटिमेट सीन न भी होते तो फर्क नहीं पड़ता,और फिल्म को और अधिक संख्या में लोग देखते।
प्रस्तुति :सुंदर मोरे