भारत में कल बजट को लेकर लोगों के बीच कई तरह की चिताएं और अटकलें चल रही हैं, प्रत्येक उद्योग व्यापार में होने वाले बदलाव को लेकर विचार कर रहा है। इस बात में कोई दो राय नहीं है, कि कोरोना महामारी से संबंधित आर्थिक संकट के कारण ऑटो उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है।
गौरतलब है कि इस नीति के तहत निजी वाहनों को 20 वर्ष और व्यावसायिक वाहनों को 15 साल के बाद वाहन स्वचालित फिटनेस केंद्रों पर फिटनेस परीक्षण से गुजरना होगा। जो भी वाहन इन मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे उन्हें खत्म किया जाएगा। व्हीकल स्क्रैपिंग नीति का उद्देश्य पुराने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को भारतीय सड़कों से बाहर निकालना और उन्हें स्क्रैप-वे पर भेजना है।
15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का पुनर्विक्रय मूल्य भी बहुत कम होता है और ये वाहन पर्यावरण को भी बड़े पैमाने पर प्रदूषित करते हैं। ऐसे में सरकार उन वाहनों को कबाड़ में भेजने पर मालिकों को उचित मुआवजा देगी, जो नया वाहन खरीदने में उनकी मदद करेगा।
इस तरह पर्यावरण को तो मदद मिलेगी ही, ऑटो उद्योग में मांग भी पैदा होगी। साथ ही, इस प्रक्रिया से खत्म किए जा रहे वाहनों से कई तरह के पार्ट्स और धातुएं निकलेंगी जिन्हें रीसाइकल कर उनका उपयोग नए वाहनों के साथ-साथ नए प्रोडक्ट के निर्माण में किया जा सकता है।