राखी साखी प्यार की, बन पावन त्योहार।
भाई-बहनों के हिये जीवन भर का प्यार।। 2023।।
बचपन की पहली सखी, सहोदरा, मनमीत।
प्यारे दुश्मन भी सगे, दिल के गाढ़े प्रीत।। 2024।।
बचपन की जो चुलबुली, बड़ी हुई गम्भीर।
भाई भाये सिरफिरा, नौटंकी–बलवीर।। 2025।।
भोले बचपन में हुई जितनी भी तकरार।
भाई-बहनों ने उसे दिल से दिया बिसार ।।2026।।
सजे कलाई रेशमी–राखी, भैया चाँद।
जीवन भर रक्षा-वचन, सुने बहिन-फरियाद।। 2027।।
भाई के कर्तव्य कुछ, बीरन सुने पुकार।
बहन दुलारी द्रौपदी, भैया नन्दकुमार।। 2028।।
हाजिर करुण पुकार सुन, भले द्वारिकाधीश।
सखा, प्राण, प्यारा सगा, सबके हित जगदीश।। 2029।।
कर्मवती सौभाग्यमयि, भाई वीर हुमायुँ।
शासन, सुख, समृद्धि की क्यों न बढ़े फिर आयु।। 2030।।
दानवीर बलि-नाम से रक्षा-मंत्र-प्रभाव।
दानी का संकल्प शुभ, वामन का छल-भाव।। 2031।।
दानवीर दनुजेन्द्र-सा भैया अटल उदार।
मगर स्वसा ससुराल निज परम सुखी संसार।। 2032।।
रहे सलामत ज़िन्दगी, भैया का सुख-साज।
सच्चा प्रतिनिधि बाप का, चले धर्म का राज।। 2033।।
भाभी मीठी चाँदनी, भैया भानु-प्रकाश।
कहीं तनिक ठोकर लगे, बाँधे पीहर आस।।2034।।
एक घोंसले के पले दो फंछी-सा प्यार।
यादों में बहना बसी, अश्रु-सजल ‘नीहार’।। 2035।।
सुख-दुख साझे, सुन विकल, हो जाये बेचैन।
चार घड़ी को मिल सके और जुड़ा ले नैन।। 2036।।
जितनी गाढ़ी दुश्मनी, उतना गाढ़ा प्यार।
जले हाथ, आँसू–धुआँ, पर रोटी तैयार।। 2037।।
फफक-फफक कर रो उठा, छाला जाये फूट।
तेरा भैया बावला, रिश्ता मगर अटूट।। 2038।।
प्यारा बचपन छोड़ वह आया कितनी दूर।
थी निश्छल सच ‘शारदा’, ‘अमल’ नज़र का नूर।। 2039।।
रचनाकाल : 22 अगस्त, 2021
बगिया, उत्तर प्रदेश
रक्षाबन्धन पर्व
[नीहार-दोहा-महासागर : तृतीय अर्णव (तृतीय हिल्लोल) अमलदार नीहार]
लेखक परिचय
- डाॅ. अमलदार ‘नीहार’
अध्यक्ष, हिन्दी विभाग
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया (उ.प्र.) – 277001
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और संस्कृत संस्थानम् उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश सरकार) द्वारा अपनी साहित्य कृति ‘रघुवंश-प्रकाश’ के लिए 2015 में ‘सुब्रह्मण्य भारती’ तथा 2016 में ‘विविध’ पुरस्कार से सम्मानित, इसके अलावा अनेक साहित्यिक संस्थानों से बराबर सम्मानित।
- अद्यावधि साहित्य की अनेक विधाओं-(गद्य तथा पद्य-कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, ललित निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, जीवनी, आत्मकथात्मक संस्मरण, शोधलेख, डायरी, सुभाषित, दोहा, कवित्त, गीत-ग़ज़ल तथा विभिन्न प्रकार की कविताएँ, संस्कृत से हिन्दी में काव्यनिबद्ध भावानुवाद), संपादन तथा भाष्य आदि में सृजनरत और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।
- अद्यतन कुल 13 पुस्तकें प्रकाशित, ४ पुस्तकें प्रकाशनाधीन और लगभग डेढ़ दर्जन अन्य अप्रकाशित मौलिक पुस्तकों के प्रतिष्ठित रचनाकार : कवि तथा लेखक।
सम्प्रति :
अध्यक्ष, हिंदी विभाग
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया (उ.प्र.) – 277001
मूल निवास :
ग्राम-जनापुर पनियरियाँ, जौनपुर