सृष्टि का संवर्धन जड़ में पानी देने से होता है- अखिलेन्द्र मिश्र

मुंबई: मानव संसाधन विकास मंत्रालय पंडित मदन  मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन, शिक्षण अध्ययन केंद्र रामानुजन कॉलेज, दिल्ली एवं हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक सप्ताह के संकाय संवर्धन कार्यक्रम का उद्घाटन संपन्न हुआ।

इस अवसर पर उद्घाटन वक्तव्य देते हुए म.गां.अं. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति डॉ. गिरीश्वर मिश्र ने साहित्य और मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मानव मूल्यों के निर्माण में उनके योगदान की चर्चा की।

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने अपनी प्रस्तावना में समकालीन साहित्य के विविध विमर्शों को स्पष्ट किया। इस अवसर पर ज़ी 24 तास के संपादक प्रसाद काठे ने वैश्वीकरण के दबाव की चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं पर पड़ रहे उसके दुष्प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।

सुप्रसिद्ध अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने कहा कि सृष्टि का संवर्धन जड़ में पानी देने से होता है। हमें भारतीय साहित्य, संस्कृति, भाषा एवं शिक्षा के मूल को मज़बूत बनाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम की आवश्यकता है। इस मौके पर वीरेंद्र यागनिक ने कहा कि पश्चिमी शक्तियां विश्व को बाजार बनाना चाहती हैं, जबकि हम संपूर्ण विश्व को परिवार बनाना चाहते हैं।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में मुंबई विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. रवींद्र कुलकर्णी ने कहा कि सम्पूर्ण भारत वर्ष से आमंत्रित विद्वानों और प्रतिभागियों के कारण यह कार्यक्रम ऊंचाई पर पहुँच गया है । ऐसे कार्यक्रमों से नए प्राध्यापकों को न केवल पदोन्नति में लाभ होगा अपितु वे अपने ज्ञान को अद्यतन कर सकेंगे।

कार्यक्रम का सूत्र संचालन डॉ. आलोक पांडेय ने किया। डॉ. सचिन गपाट ने आभार ज्ञापित किया। इस मौके पर डॉ. रामबक्ष, डॉ. सुनील कुलकर्णी, उमासा के अध्यक्ष डॉ. बालाजी केंद्रे, अधिसभा सदस्य डॉ. सुरेश मैंद, डॉ. शिवाजी सरगर, डॉ. रोहिदास मुंडे, डॉ. जमशेद, डॉ. हूबनाथ पांडेय, डॉ. बिनीता सहाय, प्रा.सुनील वलवी के अलावा भारी संख्या में प्राध्यापक और शोधार्थी उपस्थित थे।

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