हिंदी शिक्षकों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान एवं तकनीकी से खुद को लैस रखना होगा : डॉ. जितेंद्र पांडेय

कार्यशाला

आनंदप्रकाश शर्मा | NavprabhatTimes.com

विवा एजुकेशन और लर्नर्स अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में  बांद्रा पश्चिम स्थित स्पेस्टिक सोसायटी ऑफ इंडिया के सभागृह में हिंदी कार्यशाला आयोजित की गई। आईसीएससी बोर्ड के दिशा-निर्देशों पर केंद्रित इस कार्यशाला में महाराष्ट्र राज्य के लगभग 80 विद्यालयों के 200 अध्यापकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई। विवा एजुकेशन के जनरल मैनेजर अशेक मुर्शीद और उनकी टीम ने आमंत्रित सभी विद्यालयों का गर्मजोशी के साथ अभिनंदन किया। इस अवसर पर मुंबई के टॉप मोस्ट विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, हिंदी के वरिष्ठ शिक्षक-शिक्षिकाओं को शॉल, स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। आर्य विद्या मंदिर समूह की निदेशिका ज्योति कुमार सहित अन्य प्राचार्यों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

हिंदी को रोजगार से जोड़ा जाय – राम नयन दूबे

लर्नर्स अकादमी के प्राचार्य राम नयन दूबे ने प्रस्ताविकी में बताया, “काउंसिल समय-समय पर हमें दिशा-निर्देश देती रहती है। विद्यालयों को तदनुसार अपना पाठ्यक्रम संशोधित और परिमार्जित करना पड़ता है। बोर्ड की मंशा है कि हिंदी को रोजगार से जोड़ा जाय तथा नई तकनीकी का प्रयोग पठन-पाठन में हो। अतः उनकी तरफ से ‘प्रतिवेदन-लेखन‘, ‘विज्ञापन-लेखन‘, ‘डायरी-लेखन‘ ‘नोटिस-लेखन‘ आदि प्रस्तावित किए गए। आज हम सब उसी पर चिंतन-मनन करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आगामी अकादमिक सत्र मे इन्हें कैसे लागू किया जाय और किन-किन कक्षाओं में किया जाय इत्यादि बिंदुओं पर व्यापक चर्चा और सहमति के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई है।”

अभिभावकों का हिंदी भाषा के प्रति उनका नज़रिया बदलना होगा – डॉ. पाण्डेय

हिंदी कार्यशाला का मार्गदर्शन सेंट पीटर्स संस्थान पंचगनी से पधारे जाने-माने शिक्षाविद और समीक्षक डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय द्वारा किया गया। डॉ. पाण्डेय ने अध्यापकों से अपील की कि वे अपने को अद्यतन तकनीकी से लैस करते हुए आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से भी परिचित रहें। हिंदी भाषा की उपलब्धियों और वैश्विक सन्दर्भों को स्पष्ट करते हुए इन्होंने बताया कि हिंदी-शिक्षण के प्रति हमारी दोहरी जिम्मेदारी है। एक तरफ तो हिंदी भाषा के प्रति बच्चों में रुचि पैदा करनी होगी तो दूसरी ओर अभिभावकों का हिंदी भाषा के प्रति उनका नज़रिया बदलना होगा। डॉ. पाण्डेय ने आईसीएससी बोर्ड द्वारा प्रस्तावित नए पाठ्यक्रम को केंद्र में रखते हुए वर्णमाला, वर्तनी-दोष, वाक्य, लिंग, वचन, पत्र, निबंध आदि की भी व्यापक चर्चा की । भाषा पर आधारित अपने संस्थान के कई वीडियो भी उन्होंने सबके साथ साझा किया।

कार्यशाला का खूबसूरत संचालन जमनाबाई नरसी की वरिष्ठ शिक्षिका पद्मा ने किया। इस अवसर पर आर्य विद्या मंदिर समूह की निदेशिका ज्योति कुमार, सेंट जॉन यूनिवर्सल हाई स्कूल की प्रधानाचार्या शालिनी जैसवाल, एस. जे. पोद्दार की प्रधानाचार्या सीता कुमार, शिशुवन, माटुंगा की प्राचार्या सुभद्रा शेनॉय, रेवुड इंटरनेशनल स्कूल, लोनावला की प्रधानाचार्या डॉ. रोशन पटेल, ऑक्सफ़ोर्ड इंटरनेशनल ठाकुर विलेज कांदिवली के प्रधानाचार्य श्री बैंकर, विश्व ज्योति हाई स्कूल खारघर के प्रधानाचार्य दीपक पाटणकर सहित सुनीता बालीप्रतिभा मिश्रा त्रिलोकीनाथ तिवारी,  रामगोपाल पानेरी, अजित उपाध्यायसंगीता शिशोदियारमीला कूपर, सरिता, दिनेश सिंह आदि गणमान्यों ने अपने-अपने विचार हिंदी कार्यशाला में रखे।

कार्यशाला के अंत में प्रधानाचार्य राम नयन दूबे ने बताया कि काउंसिल द्वारा प्रस्तावित नये बिंदुओं को प्राथमिक स्तर पर (कक्षा तीसरी से कक्षा पांचवीं तक ) मात्र मौखिक चर्चा छात्रों से की जाएगी, लेखन नहीं । कक्षा छठीं से इन्हें लेखन कार्य से जोड़ना होगा ।


विवा एजुकेशन ने आमंत्रित शिक्षकों को अपने पुस्तकों का एक सेट और सहभागिता प्रमाणपत्र भेंट करके उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की ।

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