डॉ. अवधेश कुमार राय की पुस्तक ‘चिंतन के विविध आयाम’ का लोकार्पण

मुंबई विश्वविद्यालय की पत्रिका शोधावरी के तत्वावधान में डॉ. अवधेश कुमार राय की पुस्तक ‘चिंतन के विविध आयाम’ का लोकार्पण 1अप्रैल,2023 को जे.पी.नाइक भवन, कालीना, मुंबई विश्वविद्यालयमें संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लकार प्रो. नंदलाल पाठक ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रतन कुमार पांडेय व विशिष्ट अतिथि सोमैया कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश पांडेय थे।इस अवसर पर मुख्य वक्ता जनवादी कवि शैलेश व होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केन्द्र में कार्यरत असोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में पुस्तक के लेखक डॉ. राय ने अपना अभिमत दिया व पुस्तक में संग्रहित लेखों व उनकी रचना प्रकिया पर बात की। वक्ता के रूप में बोलते हुए शैलेश सिंह ने इस पुस्तक के विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने प्रेमचंद, मुक्तिबोध, नागर्जुन, रेणु, प्रगतिशील कविता व राहुल सांकृत्यायन आदि लेखों पर गंभीर मीमांसा प्रस्तुत किया और उनके मूल तत्त्वों को आजके सन्दर्भ में रेखाँकित किया। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र ने लेखक के समाजवादी मूल्यों के प्रति निष्ठा व प्रतिबद्धता की बात की व पुस्तक के प्रकाशन में अपने परामर्श व प्रेरणा को याद किया। डॉ. मिश्र ने प्रेमचंद पर इस पुस्तक में लिखे दो लेखों व तुलसीदास पर विशेष रूप से बात की और बताया कि प्रेमचंद उनके सबसे प्रिय लेखक हैं। उन्होंने पुस्तक की वैज्ञानिकता के आधार पर तथ्यपरक विवेचना की। डॉ. मिश्र ने विज्ञान की उपलब्धियों को सही उपयोग के प्रति सचेत किया और भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से आने वाली चुनौतियों के प्रति आगाह किया।

डॉ. सतीश पांडेय ने सूरदास के साहित्य में पर्यावरण वाले लेख व तुलसीदास के साहित्य में समता व समरसता की बात की। उन्होने कहा कि किस तरह इस लेख में कालिया नाग की कथा को जल प्रदूषण से जोड़कर देखा गया है। इसी प्रकार, गोवर्धन पर्वत के प्रसंग को अतिवृष्टि व दावानल की समस्या को पर्यावरण से जोडा गया है, यह लेखक की नई दृष्टि का परिचायक है। उन्होंने तुलसीदास की अर्द्धाली की चर्चा की, जिसे लेकर आज अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है और इतने बड़े साहित्यकार के प्रदेय को नकारने की कोशिश की जा रही है। उन्होने कहा कि इसमें सुर, तुलसी से लेकर आधुनिक कवि व लेखक राहुल, प्रेमचंद, निराला, मुक्तिबोध, रेणु, नागर्जुन व समकालीन कवि रामदरश मिश्र, नंदलाल पाठक व वशिष्ठ अनूप का समावेश है, जो लेखक के चितन के विविध आयामों को दर्शाता है।

मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए डॉ. रतनकुमार पांडेय ने बताया कि इसमें कुछ लेख अनभै में छप चुके हैं। उन्होने कहा कि अवधेश राय व हूबनाथ पांडेय दोनों उनके शोध छात्र रहें हैं और जब उनका कोई विद्यार्थी कुछ नया करता है तब गुरु को सबसे ज्यादा खुशी होती है। अध्यक्ष पद से बोलते हुए प्रो. नंदलाल पाठक ने लेखक के गंभीर चिंतन व विश्लेषण को रेखांकित कियाऔर कहा कि अवधेश राय हमेशा तथ्यपूर्ण विवेचना करते हैं। उन्होंने शैलेश सिंह, डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र, डॉ.सतीश पांडेय व डॉ.रतनकुमार पांडेय के सारगर्भित विवेचनाओं की सराहना की और अपनी आने वाली पुस्तक हिंदी गजल की सूचना दी।

कार्यक्रम का संचालन प्रो.अभय दोषी ने किया, आभार कार्यक्रम के संयोजक व शोधावरी के संपादक डॉ. हूबनाथ पांडेय ने किया। सभागार में अनेक साहित्यकार, विद्यार्थी, व रचनाकार उपस्थिति थे। इसमें राकेश शर्मा, डॉ. आभा बोधिसत्त्व, डॉ. रीतादास राम, डॉ. सुनीता शर्मा, डॉ. अंजु गुप्ता, डॉ. इंद्रकुमार विश्वकर्मा, मुख़्तार खान, अनील कुमार राही, अजय शुक्ल, डॉ. भगवान पांडेय, डॉ बृजेश पांडेय, श्रीकांत मिश्र, संदीप सिंह आदि थे। पुस्तक के प्रकाशक आर.के. प्रकाशन के रामकुमार ने लेखक का सम्मान एक पुस्तक के चित्र व स्मृति चिह्न के साथ किया।

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