Wednesday, May 8, 2024
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महाकवि सूर के वात्सल्य भाव पर केन्द्रित नीहार के दोहे

150-सूर-सखा-वात्सल्य सँग क्रीड़ित शिशु ‘नीहार’ अष्टछाप-वीणा सजी, रम्य राग-शृंगार। व्रज-रज-मण्डित छा गयी सौरभ-सनी बयार।।2189।। पुष्टिमार्ग-जलयान सम उपमित कविवर सूर। व्रजभाषा के भाल पर बन सुहाग-सिन्दूर।।2190।। सख्य भाव की भक्ति...

अप्रतिम प्रतिभा, मनुष्यता और मानव-कल्याण के पुरस्कर्ता डॉ. भीमराव आम्बेडकर की...

तिमिर-मंच पर ज्ञानमय रविकर-निकर-प्रकाश। अलबेला आम्बेडकर सन्निभ बृहदाकाश।।86।। हृदय सुशीतल सोम भी, बुद्धि-प्रभा मार्तण्ड। दया-द्रवित जो अति सरल, अम्बुधि क्षुब्ध प्रचण्ड।।87।। हासिल ऊँची डिग्रियाँ, विविध भारती-ज्ञान। पल्लवग्राही जो नहीं...

बदलते दौर का दस्तावेज़ – नीहार के दोहे

लकड़ी दुर्लभ--दाह को मुश्किल आग मसान। ऐसा कौन गुनाह जो, सहे मौत अपमान।। 1962।। गंगा ने पूरे किये 'माँ' के सारे फर्ज़। लाश तैरती गोद में, भारी...

नयी पीढ़ी की दिशाहीन यात्रा : वर्तमान परिदृश्य – डाॅ.अमलदार ‘नीहार’

खून के आँसू रुलाकर यूँ, बताओ क्या मिला? आसमाँ को भी झुकाकर यूँ, बताओ क्या मिला? दर्द का दरिया बहे दिल में उठे तूफान-सा, फल-लदे जंगल जलाकर...

गीता की सौगन्ध (लघुकथा ) – डाॅ.अमलदार ‘नीहार’

‘‘तुम्हारा नाम..?’’ कठघरे में खड़े फटेहाल व्यक्ति से सरकारी वकील ने पूछा। ‘‘लोग हमें ‘चिथरुआ’ कहते हैं साहब, पड़ोस के बच्चे ‘काका’ और हफ्ता वसूलने...

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