नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी से गुज़रने के बाद भी जनता मोदी के साथ है। अब से तीन महीने पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने जब अचानक नोटबंदी का फैसला लिया था, तो विरोधियों ने एक सुर में कहा था कि जनता इसका जवाब जरूर देगी और मोदी लहर का नामोनिशान मिट जाएगा; लेकिन यूपी-उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनावी नतीजों से यह साबित हो गया कि मोदी के हर फैसले के साथ जनता है। चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस, सपा और बसपा नोटबंदी से हुई दिक्कतों को हाईलाइट करते नजर आए, पर यूपी और उत्तराखंड का फैसला भाजपा के पक्ष में आया।
गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री ने देश में सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपए के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया था। इस फैसले का पूरे देश पर व्यापक असर पड़ा। पूरा देश बैकों के बाहर लाइन में लग गया था, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया।
नोटबंदी को अधिकतर पार्टियों ने मुद्दा बनाया था। यहां तक कि संसद की कार्यवाही नहीं चल पाई थी। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर इसका असर पड़ेगा। ऐसे में मोदी सरकार नोटबंदी को अब कामयाबी के तौर पर पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक अब मोदी कुछ और कड़े कदम उठा सकते हैं।
क्या हो सकते हैं ये कड़े फैसले ?
- नोटबंदी की तरह ही बेनामी प्रॉपर्टी को लेकर मोदी सरकार गंभीर है और कोई बड़ा कदम उठा सकती है। कानून पहले से पास है और जल्द ही उसे लागू करने की योजना है।
- नरेंद्र मोदी जनता को सब्सिडी छोड़ने के लिए कई मौकों पर कह चुके हैं। उनकी अपील पर पिछले ढाई वर्ष में लाखों लोगों ने एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ी है।
- GST लागू करवाने की पूरी कोशिश करेगी।
- सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर सख्त हो सकती है।
- नोटबंदी के दौरान कई प्राइवेट बैंकों ने गड़बड़ी की थी। सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।
- बैंकों का पैसा मारकर बैठे लोगों के खिलाफ सरकार और सख्त हो सकती है। स्टेट बैंक का मर्जर इसीलिए चल रहा है। कुछ ऐसी एजेंसियां भी खुद को सामने ला रही हैं, जो बैंकों से उनको मिलने वाला कर्ज खरीद सकती हैं और फिर उसे वे अपने ढंग और मनमानी तरीके से वसूलेंगी।