शहीदों के परिजनों ने जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव करने का लगाया आरोप

लखनऊ:- शहीद परिजनों के साथ सरकार द्वारा जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव किये जाने तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा उपेक्षा व उत्पीड़न किये जाने के विरूद्ध राजनारायण सर्वजन उत्थान सेवा संस्थान ने प्रेसवार्ता कर आक्रोश जाहिर किया है। प्रेस क्लब हजरतगंज (लखनऊ) में आयोजित प्रेसवार्ता में भारतीय शहीद मेमोरियल ट्रस्ट, अम्बेडकरनगर के प्रबन्धक मोहिउद्दीन खान ने भी सम्मिलित होकर शहीद सैनिकों के परिजनों के साथ हो रहे भेदभाव, उपेक्षा, उत्पीड़न व दुर्व्यवहार पर चिन्ता व्यक्त करते हुये सरकार से कार्यवाही की मांग किया।
क्या है कहानी जानते हैं-

प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये संस्थान के अध्यक्ष अरविन्द विश्वकर्मा ने अम्बेडकरनगर जिले के शहीद बजरंगी विश्वकर्मा के परिजनों की उपेक्षा और उत्पीड़न का प्रकरण प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि कोई भी सैनिक देश की सुरक्षा के लिये दुश्मनों से लड़ता है, उसकी जाति और धर्म सिर्फ भारतीय होती है। परन्तु राज्य सरकारें शहीद के परिजनों को जाति-धर्म की नजर से देखते हुये अनुग्रह राशि और सुविधाएं देती हैं यह चिन्तनीय विषय है। बताया कि शहीद बजरंगी विश्वकर्मा 6 अगस्त 2010 को त्रिपुरा में शहीद हुये थे। उन्हें मरणोपरान्त राष्ट्रपति वीरता मेडल मिला था। उनके परिजनों को राज्य सरकार ने कोई भी अनुग्रह राशि व सुविधा नहीं प्रदान की। तत्कालीन जिलाधिकारी ने परिजनों के अनुरोध पर उस समय एक बिस्वा जमीन उपलब्ध करायी थी जिस पर परिजनों ने अपने निजी श्रोत से स्मारक बनवाया है। उस जमीन की नवैयत क्या है, किसी को कुछ पता नहीं। उस स्मारक को भी गांव के कुछ दबंगों द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया। शिकायत पर स्थानीय पुलिस ने सुनवाई नहीं की, बल्कि शहीद के परिजनों को ही डांटती और दुर्व्यवहार करती रही है।

परिजन स्मारक की सुरक्षा के साथ ही वर्तमान जिलाधिकारी के निर्देश पर जून 2018 में आवण्टित 5 बिस्वा जमीन को बचाने की पुलिस और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं। आवण्टित जमीन के कुछ हिस्से को तहसील प्रशासन के लोगों ने एक दबंग का अवैध कब्जा करवा दिया है। शिकायत पर परिजनों को सिर्फ प्रशासन और पुलिस की खरी-खोटी सुनने को मिलती है। स्थानीय पुलिस के दुर्व्यवहार से शहीद बजरंगी विश्वकर्मा के पिता सुरेशमन विश्वकर्मा कई बार डिप्रेशन में भी जा चुके हैं। उन्होंने परेशान होकर राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग किया है। इसके लिये उन्होंने 12 जनवरी 2019 की तिथि भी तय कर दी है। पुलिस और प्रशासन के लोग इतने निरंकुश हो गये हैं कि उन्हें शहीद परिजनों के सम्मान का भी ध्यान नहीं रहा।
शहीद बजरंगी विश्वकर्मा ने वर्ष 1994 में अपनी जमीन पर नीव भरवाया था, उनका सपना था कि फौज की सेवा से वापस होने के बाद वहां मकान बनवाकर रहेंगे। उक्त जमीन से परिजनों की भवनाएं और याद जुड़ी हुई है जबकि उसी जमीन को दबंग कब्जा करने पर तुले हैं। लोगों ने शहीद की भावना और याद से जुड़ी उक्त जमीन को पजिनों को दिलाने, गांव में और भी जमीन आवण्टित करने के साथ ही शहीद के परिजनों को अनुग्रह राशि दिये जाने व उनकी सभी समस्याओं के निराकरण की मांग की है।
प्रेसवार्ता के दौरान शहीद बजरंगी विश्वकर्मा के पिता सुरेशमन विश्वकर्मा, पत्नी सरोज विश्वकर्मा, भाई प्रेमभवन विश्वकर्मा, समाजसेवी दीपक शर्मा, गजेन्द्र शर्मा, पवन शर्मा, रामबाबू गुप्ता, उदय सिंह, कमलेश प्रताप विश्वकर्मा, दानकिशोर विश्वकर्मा, सीमा विश्वकर्मा, विपिन कुमार,रजनीश मार्तण्ड,अभिषेक शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।

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