अंग्रेजी हुकूमत की कहानी कह रही सुल्तानपुर पुलिस की बर्बरता-
सुल्तानपुर: जिले के कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव टैनी हसनपुर में गांव वालों पर पुलिस की बर्बरता अंग्रेजी हुकूमत की कहानी कह रही है। 6 मई को क्षेत्राधिकारी कादीपुर के नेतृत्व में चार थानों की पुलिस ने पुरूषों के साथ ही महिलाओं व बच्चों पर जो कहर बरपाया, वह अंग्रेजी हुकूमत की याद दिला रही है।
स्थानीय समाचार पत्रिका विश्वकर्मा किरण की खबर के मुताबिक़ सुल्तानपुर जिले के कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव टैनी हसनपुरगांव में सुरेश विश्वकर्मा के परिवार से दयाराम यादव से एक जमीन का विवाद कई साल से चल रहा है। दयाराम यादव ने उक्त विवादित जमीन पर कई बार कब्जा करने की कोशिश किया। हल्का लेखपाल की एक गलत रिपोर्ट और मुडिलाडीह पुलिस चौकी प्रभारी की मिलीभगत ने गांव में तांडव की कहानी रच दी।
बताया जाता है कि दयाराम यादव ने एक बार पुनः उस जमीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश में टीनशेड रखने का प्लान किया। जानकारी होने पर सुरेश विश्वकर्मा की तरफ से एसडीएम कादीपुर को एक प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसे उन्होंने कोतवाल कादीपुर को भेज दिया। पुलिस की तरफ से सुरेश विश्वकर्मा परिवार को बताया गया कि 7 मई को एसडीएम द्वारा राजस्व टीम गठित कर सीमांकन कराया जायेगा। सुरेश विश्वकर्मा ने तो पुलिस की बात पर विश्वास कर लिया, पर उसके विश्वासघाती नजरिये को भांपने में चूक हो गई।
7 मई को सीमांकन का कार्य होता, इसके पहले 6 मई को मुडिला डीह पुलिस चौकी इंचार्ज दयाराम यादव के घर पहुंचे और उसकी तरफ से जमीन कब्जा कराने के लिये टीनशेड रखवाने की कोशिश करने लगे। सुरेश विश्वकर्मा के परिवार वालों ने मना किया, तो मौजूद पुलिसकर्मी उन्हें व उनके परिवार वालों को मारने-पीटने लगे। मार पड़ते ही परिजन चिल्लाने लगे, इतने में गांव के काफी लोग इकट्ठा हो गये। गांव वालों को इकट्ठा देख चौकी इंचार्ज ने पुलिस पर हमले की गलत सूचना प्रेषित कर दी। इस गलत सूचना का दुष्परिणाम यह हुआ कि सीओ कादीपुर, कोतवाल कादीपुर फोर्स, तथा करौंदीकला, दोस्तपुर व अखण्डनगर थाने की फोर्स मौके पर पहुंच गई और अपना तांडव शुरू कर दिया। क्या बच्चे, क्या बुजर्ग, क्या महिलाएं, क्या पुरुष जो भी सामने पड़ा सभी को पुलिसकर्मियों ने अपने तांडव का शिकार बनाया। पूरे गांव में दौड़ा-दौड़ा कर लोगों को मारा। घर में घुसकर महिलाओं को मारा और उनके साथ बदसलूकी की।
मुख्य मार्ग सील कर महिलाओं, बच्चों व राहगीरों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा-
इतना ही नहीं, गांव के पास के मुख्यमार्ग को सील कर दिया। चाहे गांव का व्यक्ति हो या राहगीर, सभी पुलिस के कोपभाजन के शिकार हुए। गांव में घुसकर महिलाओं और बच्चों की पिटाई के साथ ही घर के चूल्हे, खिड़की और दरवाजे तक तोड़े। बताया तो यह भी जा रहा है कि पुलिस टीम के साथ दयाराम यादव के भाड़े के गुंडे भी गांव के लोगों को मारने में जुटे रहे।
इतना तांडव करने के बाद पुलिस ने सुरेश विश्वकर्मा के परिवार व गांव के कई लोगों को पकड़कर कोतवाली ले गई, परन्तु दयाराम यादव पक्ष पर पोलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। पुलिस ने गिरफ्तार किये लोगों को कोतवाली के लॉकप में भी पीटा। कई लोग गम्भीर रूप से घायल थे, जिनका इलाज तक नहीं कराया गया। करीब 30 घण्टे लॉकप में रखने के बावजूद लोगों को खाना तक नहीं दिया गया। जानकारी के मुताबिक लालता नाम के युवक को पुलिस ने इतना मारा कि उसकी स्थिति मरणासन्न अवस्था में पहुंच गई।
जान व इज्जत बचाकर पीड़ित महिलाओं व बच्चों ने घर से दूर ली शरण-
बताया जाता है कि उक्त घटना के लिये मुडिलाडीह पुलिस चौकी प्रभारी, कोतवाल कादीपुर व सीओ कादीपुर पूरी तरह दोषी हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार पैसे के प्रभाव में इन पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य का कतई ध्यान नहीं रखा और चंद पैसे के लिये गांव वालों को अंग्रेजी हुकूमत की याद दिला दी। पुलिस व दयाराम यादव के खौफ से अपनी जान व इज्जत बचाकर पीड़ित महिलाओं व बच्चों ने घर से दूर शरण ली। घायल लोग डर के मारे कहीं इलाज कराने भी नहीं जा सके। पुलिस ने दयाराम यादव पक्ष के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है, जिससे उसके हौसले बुलंद है। गांव की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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