इंद्रकुमार विश्वकर्मा | NavprabhatTimes.com
यदि आप मुंबई में रहते हैं और आपको ऑफिस समय पर पहुंचना होता है, तो लोकल ट्रेन, बेस्ट की बसें या ऑटो रिक्शा अवश्य लेते होंगे। मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी इन तीनों के बिना अधूरी है। रिक्शाचालक पूरी ईमानदारी से अपने फ़र्ज़ को अंजाम देते हैं, पर इनमें से कुछ लोगों की गलतियाँ सभी अन्य की कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगा देती हैं! आए दिन रिक्शाचालकों की मनमानी की शिकायतें सुनने में आती हैं। कभी वे मुसाफिरों को उनके गंतव्य स्थान पर ले जाने को तैयार नहीं होते, तो कभी उनके मनमाना भाड़ा वसूलने की शिकायत सामने आती है। ऐसा ही एक शिकायत पत्र साकीनाका के एक रहिवासी द्वारा नवप्रभातटाइम्स.कॉम को आज प्राप्त हुआ है।
नवप्रभातटाइम्स.कॉम को प्राप्त इस मेल में शिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि उन्हें 15 ऑक्टोबर को दोपहर की ट्रैन पकड़नी थी और उन्होंने 90 फ़ीट रोड साकीनाका पर एक रिक्शाचाक से उन्हें लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन छोड़ने को कहा। इस पर रिक्शा ड्राइवर ने उनसे भाड़े से अधिक पैसे मांगे। जब उन्होंने इस पर प्रश्न किया व मीटर से जाने की बात की, तो रिक्शाचालक ने जाने से इनकार कर दिया।
यात्री को जल्दी थी, अतः उन्होंने बहस करना उचित नहीं समझा और पास ही खड़े दूसरे रिक्शेवाले से पूछा। इस पर पहले ने दूसरे को इशारा किया और उसने भी जाने से इनकार कर दिया। इसके पश्चात उनकी आपसी सांठगांठ के कारण और कई अन्य रिक्शावाले भी जाने को तैयार नहीं हुए।
काफी परेशान होने के बाद पास से गुज़र रहे एक खाली रिक्शा ने उन्हें मीटर के अनुसार लोकमान्य तिलक टर्मिनस तक पहुंचाया और उनकी ट्रैन छूटते-छूटते बची।
उन्होंने यह भी शिकायत की कि शेयरिंग रिक्शावाले साकीनाका मेट्रो स्टेशन से 90 फ़ीट रोड तक यात्रियों को लाते ले जाते हैं एवं यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए चार-चार लोगों को बिठाते हैं। लेकिन पुलिस द्वारा उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। जहाँ मीटर से इसका किराया मात्र ₹18 होता है, वहीं 4 यात्रियों को बिठाकर रिक्शावाले इन 4 यात्रियों से कुल मिलाकर ₹ 40 वसूलते हैं।
प्रश्न यह उठता है कि रिक्शावाले मीटर से जाने को क्यों तैयार नहीं होते? मीटर से अधिक भाड़ा मांगना क्या उचित है? यात्रियों से मीटर के अनुसार भाड़ा लेना क्या उनका कर्तव्य नहीं! उन्हें उनके मनचाहे गंतव्य स्थान पर ले जाने में उन्हें इतनी असुविधा क्यों?
गौरतलब है कि रिक्शावालों की मनमानी की अनेक शिकायतें RTO में आती रहती हैं। इसके बावजूद ऐसी अनेक घटनाएँ हो रही हैं।
बांद्रा से भी ऐसी अनेक शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जहाँ शेयरिंग रिक्शा के नाम पर सभी नियमों को ताक पर रखकर रिक्शावाले 4-4 मुसाफिरों की बिठाते हैं। बांद्रा पश्चिम में 4 मुसाफिरों को बिठाने के कारण रिक्शा के पलटने की अनेक घटनाएँ भी हो चुकी हैं। यात्रियों के विरोध करने पर ये रिक्शाचालक समूह में आकर मारपीट करने तक को तैयार हो जाते हैं। बांद्रा स्टेशन के बाहर रिक्शाचालकों की यह मनमानी पुलिस व प्रसाशन को छोड़ सभी को दिखाई देती है! कोई कार्रवाई न होने से रिक्शाचालक अपनी मनमानी करने से नहीं चूक रहे। प्रशासन भी उन पर लगाम लगा पाने में असमर्थ है।
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