आनंदप्रकाश शर्मा | NavprabhatTimes.Com
मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा संचालित श्रीमती बी. एम. रुइया महिला महाविद्यालय एवं सीताराम देवरा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ के हिंदी विभाग द्वारा ६ फरवरी, २०१७ को दोहरा अभिशाप : विविध परिप्रेक्ष्य विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता एस. एन डी टी विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुनीता साखरे ने की। विषय से जुड़े विभिन्न उप-विषयों पर आधारित अनेक प्रपत्र प्रस्तुत किए गए। इस संगोष्ठी में एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय से जुड़े महाविद्यालयों के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियोंने उत्साहपूर्वक भाग लिया और प्राध्यापकों ने अपने प्रपत्र के माध्यम से विषय के साहित्यिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक पक्ष को प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी का प्रारम्भ प्राचार्या डॉ. संतोष कौल काक एवं अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। तद्नंतर महाविद्यालय की हिंदी विभाग की छात्रा ने ईश वंदना प्रस्तुत की।
दोहरा अभिशाप में नारी साक्षरता के माध्यम से उसके स्वाभिमान, स्वावलंबन की अभिव्यक्ति हुई है – डॉ. संतोष कौल काक
प्राचार्या डॉ संतोष कौल काक ने प्रस्ताविकी के रूप में संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि, हिंदी में ‘दोहरा अभिशाप’ दलित महिला लेखिका द्वारा लिखी गयी पहली दलित आत्मकथा है, जिसमें नारी साक्षरता के माध्यम से उसके स्वाभिमान, स्वावलंबन की अभिव्यक्ति हुई है और नारी मुक्ति का सन्देश दिया है। यह आत्मकथा छात्राओं के लिए अत्यंत प्रेरणा दायक है । डॉ. श्रीमती सुनीता साखरे ने दलित आत्मकथाओं पर प्रकाश डालते हुए दोहरा अभिशाप की विस्तार से चर्चा की।
इस संगोष्ठी के प्रथम सत्र में डॉ. उषाकिरण तिवारी, श्रीमती महेश्वरी मुरडेश्वर, श्रीमती साधना द्विवेदी और श्री रामलखन पाल ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए। द्वितीय सत्र में डॉ. हिरल ठाकुर, श्रीमती कुसुम विश्वकर्मा, श्रीमती क्षमा ताम्हणकर, डॉ. बीनू सिंह, श्रीमती रुचिता देसाई और डॉ. कश्यप गणात्रा ने प्रपत्र वाचन किया। तृतीय सत्र में श्रीमती श्रुति रानडे, श्रीमती ज्योति थोराट, श्रीमती नीलम चेतिवाल , श्रीमती मेहजबीन मोमिन, श्रीमती अनिता जैन एवं डॉ. सुनीता मिश्रा ने प्रपत्र प्रस्तुत किये। संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ. श्रीमती सुनीता मिश्रा एवं श्री रामलखन पाल ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्रीमती आशा दुबे ने किया।
(चित्र: बाएं से श्रीमती श्रुति रानडे , प्राचार्या डॉ. श्रीमती संतोष कौल काक, डॉ. श्रीमती सुनीता साखरे, डॉ. श्रीमती रेणुका देवी जेना )
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