पासबान-ए-अदब द्वारा अनुभूति ‘उत्सव, उत्कृष्ट साहित्य का’ आयोजन संपन्न

आर्थिक स्थिति के साथ मज़बूत होगी हिंदी - डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय

मुंबई: संस्था पासबान-ए-अदब द्वारा ऑडिटोरियम, एसपीबीटी कॉलेज प्रांगण में हिंदी दिवस के निमित्त आयोजित अनूभुति- ‘उत्सव, उत्कृष्ट साहित्य का’ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम को पासबान-ए-अदब के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव प्रसारित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बॉलीवुड गायक सुखविंदर सिंह उपस्थित थे। सुखविंदर सिंह ने हिंदी को सागर और प्रादेशिक भाषाओं को जोड़ने में हिंदी के योगदान का जिक्र करते हुए अपने गाए हुए चुनिंदा गीत भी प्रस्तुत किए, जिससे कार्यक्रम में एक अभूतपूर्व उत्साह का संचार हो गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शैलेंद्र नाडकर्णी (कार्यकारी निदेशक – आईडीबीआई बैंक), राजेश कुमार (एफजीएम – सेंट्रल बैंक), डॉ. करुणाशंकर  उपाध्याय (प्रोफ़ेसर व हिंदी विभाग प्रमुख – मुंम्बई विश्वविद्यालय) उपस्थित थे। इस उत्सव में कवि सम्मलेन, काव्य पाठ, गोष्ठी, चर्चा, संगीत, नाटक का आयोजन किया गया। पासबान-ए-अदब

आर्थिक व्यवस्था और हिंदी पर चर्चा में डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने वैश्विक स्तर पर हिंदी के विकासमान स्थान और बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला। इसके अलावा बढ़ती तकनीक के साथ साथ हिंदी की प्रगति को भी अंकित किया। डाॅ.उपाध्याय ने कृषि, उद्योग, विनिर्माण, आंतरिक और विदेश व्यापार, मनोरंजन, खेल, पर्यटन, सुरक्षा, शिक्षा समेत उन सभी क्षेत्रों का जिक्र किया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो आगामी पंद्रह वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकशक्ति बनने जा रहा है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति तथा विश्वव्यवस्था के परिचालन में भारत की भूमिका बढ़ेगी, वैसे-वैसे हिंदी की उपयोगिता भी बढ़ेगी। भारत हिंदी और भारतीय भाषाओं के अनुप्रयोग द्वारा ही विश्वगुरु और विश्वशक्ति बन सकता है, क्योंकि विकास का संबंध स्वभाषा से है। शैलेश नाडकर्णी ने कहा कि जिस प्रकार देश की अर्थिक स्थिति में बदलाव और गति आ रही है, उसी प्रकार हिंदी भाषा की भी गति बढ रही है। भारत का रूपै  कार्ड अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हो रहा है।

पासबान-ए-अदब

‘हिंदी’-राजभाषा, राष्ट्रभाषा या वैश्विक भाषा के चर्चा में पासबान-ए-अदब के सलाहकार आलोक अविरल, डॉ. सुमंत देऊलकर (डीआरएम मध्य रेलवे),  के.पी. सिंह (सहायक निदेशक, कड़ी और ग्रामोद्योग आयोग), विद्याधर काशीनाथ जोग (प्रमुख : हिंदी विभाग: बीपीसीएल) कृष्ण वशिष्ठ (न्यू इंडिया एश्यूरन्स) ने सहभाग लिया।

‘मीडिया में हिंदी: अतीत वर्तमान और भविष्य ‘ विषय पर चर्चा में पासबान-ए-अदब के सलाहकार डॉ. विश्वनाथ झा, वरिष्ठ पत्रकार विजय शेखर, संजय सिंह (वरिष्ठ पत्रकार), के. सी. दुबे (प्रभारी संपादक, दैनिक यशोभूमि) ने सहभाग लिया और प्रिंट और  इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में हिंदी के बदलते स्वरुप पर चर्चा की। कविता की पगडंडी पर समीर सामंत और प्रसाद आठल्ये ने काव्य पाठ किया।

मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘पंडित मोटेराम की डायरी‘ नाटक पर मुजीब खान, अभिषेक मूलचंदानी, किरण सिंह, तेजस पारेख, मोक्ष गुरु, युक्तार्थ श्रीवास्तव, राहुल मेहता, हरीश अग्रवाल टीम ने नाटक प्रदर्शन किया। गोष्ठी सत्र में अलका अग्रवाल ने हरिशंकर परसाई पर, डॉ. उषा मिश्रा ने मुंशी प्रेमचंद पर और डॉ. शैलेश श्रीवास्तव ने रचनाकार दुष्यंत पर वार्ता की।

कवि सम्मेलन में अतहर शकील, अशोक वशिष्ठ, अलका शरर, आलोक अविरल, डॉ. अनंत श्रीमाली, मीनू मदान, समीर सामंत, संदीप नाथ और डॉ. ज़ाकिर ने अपनी कविताओं और रचनाओं को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया और ऑनलाइन लाइव चल रहे इस कार्यक्रम में श्रोताओं को यह बहुत भाया ।

संस्था के अध्यक्ष दानिश शेख ने कहा कि हमारे संस्थापक क़ैसर ख़ालिद ने भारतीय भाषाओं की प्रगति और संवर्धन का  जो संकल्प उठाया है वह पूरा होता दिख रहा है। जिसका परिणाम है कि आज अधिक संख्या में युवा वर्ग इस मुहिम में जुड़ रहा है। हमारा भविष्य उज्ज्वल है। हम अपने उद्देश्य में सफल होंगे।

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