जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम पर परिचर्चा

चित्रनगरी संवाद मंच के सृजन सम्वाद में रविवार 2 जुलाई 2023 को डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की पुस्तक ‘जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम’ पर चर्चा हुई। सभी वक्ता किताब पढ़ कर आए थे इसलिए चर्चा बड़ी सारगर्भित रही। ग्रंथ का परिचय देते हुए इसके लेखक डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि प्रसाद का सक्रिय रचनात्मक लेखन 31 वर्षों का रहा है और इस का ग्रंथ लेखन भी 31 वर्षों में हुआ है। यह भी एक संयोग है कि इसमें कुल 31अध्याय हैं और 31 जनवरी 2022 को यह पूरा हुआ है। इस ग्रंथ में जयशंकर प्रसाद के संपूर्ण लेखन का वैश्विक प्रतिमानों के आलोक में नए सिरे से विश्लेषण किया गया है और उन्हें बीसवीं शती का विश्व का सबसे बड़ा महाकवि सिद्ध किया गया है। इसके लिए विश्व के 15 महाकवियों और रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महर्षि अरविंद तथा टी.एस.एलियट से इनकी तुलना की गई है। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि प्रसाद का सर्जनात्मक व्यक्तित्व इतना ऊर्जावान और चिंतक व्यक्तित्व इतना ऊंचा है कि उसे कोई विदेशी विचारधारा नियंत्रित नहीं कर पाती। इन्होंने अपने जीवनानुभवों एवं विश्व- संदृष्टि के आधार पर जिस विराट बोध का विकास किया था, वह संपूर्ण भारतीय साहित्य की अस्मिता का प्रतीक बन जाता है।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने कहा कि जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य के अप्रतिम रचनाकार हैं। उनके व्यक्तित्व और रचनात्मकता को केंद्र में रखकर अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों ने आलोचनात्मक ग्रंथों की रचना की है। डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की पुस्तक ‘जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम’ अपने आप में विशिष्ट है। इसमें प्रसाद जी की रचनाओं के केंद्रीय तत्वों को नये संदर्भ में विश्लेषित करते हुए उनकी रचनात्मक महानता को स्थापित करने का प्रयास किया गया है। विश्व साहित्य के महान रचनाकारों से तुलनात्मक अध्ययन कर प्रसाद जी को श्रेष्ठ प्रमाणित करने का अद्वितीय कार्य इस पुस्तक को महत्वपूर्ण बनाता है।

समकालीन कविता के प्रमुख कवि डॉ. बोधिसत्व ने कहा कि डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की नवीनतम कृति “जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम” प्रसाद जी को समझने के लिए एक आवश्यक पुस्तक है। किताब गहराई से प्रसाद जी को देखती है और उनके लेखन के अनेक अलक्षित पक्षों को उजागर करती है! यह किताब हिंदी आलोचना के लिए एक नया पर्व है! इस पर व्यापक विचार होना चाहिए। मेरी एक किताब पुस्तक समीक्षाओं पर प्रकाशित हो रही है उसमें इस आलोचना ग्रंथ पर भी सामग्री रहेगी।

कार्यक्रम के संचालक देवमणि पांडेय ने कहा कि डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने प्रसाद के संपूर्ण साहित्य का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण पेश करने का सराहनीय प्रयास किया है। यह किताब प्रसाद साहित्य के शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है।

दूसरे सत्र में आयोजित रिमझिम काव्य संध्या में चुनिंदा कवि, कवयित्रियों और काव्य प्रेमियों ने वर्षा ऋतु पर विविधरंगी रचनाएं सुनाईं। इनमें शामिल थे- डॉ. बनवाली चतुर्वेदी, के.पी. सक्सेना दूसरे, प्रदीप गुप्ता, अश्विनी उम्मीद, राम सिंह, जवाहरलाल निर्झर, प्रशांत जैन, विनोद चंद्र जोशी, अंबिका झा, अमिता चौधरी और आशा दीक्षित। इस अवसर पर रचनाकार जगत से राम बख्श जाट, आभा बोधिसत्व, डॉ.मधुबाला शुक्ला, मंजू उपाध्याय, डाॅ.रामप्रवेश यादव, श्रेया उपाध्याय आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में कवि कथाकार डॉ. संजीव निगम को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

  • देवमणि पाण्डेय

इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दें