दीपावली की शुभकामनाएं – पुष्पा चौधरी

पुष्पा चौधरी

एक कुम्हार

गढ़ता है दिया,

पकाता है।

किसान

तिलहन उगाता है।

कोई कोल्हू में

पेरता है तेल,

कोई पूरता है बाती।

हम तो सिर्फ

जलाते हैं दिये,

जगाते हैं प्रकाश।

हमारी रोशनी में

लगे हैं कितने हाथ,

कितने मन,

कितने जीवन,

मुझे नहीं पता

किसी का नाम,

किसी का पता!

बस दोनों हाथ जोड़

कर सकती हूँ प्रार्थना

हे ईश्वर!

जिनकी मेहनत से

रोशनी है मेरे घर,

मेरे जीवन में,

उनके जीवन का

सारा अंधेरा,

सारा कलुष

मेरी झोली में डाल

प्रकाश से भर दे!

इस दीवाली

बस इतना ही कर दे!

सर्वे भवन्तु सुखिन:

सर्वे सन्तु निरामय:

कवयित्री पुष्पा चौधरी 

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