लोहिया आवास के नाम पर प्रधान ने की लाखों की घोटालेबाजी

कानपुर देहात :- आवास के नाम पर पात्र लोगों को ग्राम प्रधान ने दिखाया ठेंगा और नापात्र लोगों को दिया आवास| उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार हो या योगी सरकार क्या फर्क पड़ता है। ये सभी सरकार भ्रस्टाचार के विरोध में चाहे जितना भी प्रयत्न कर लें, लेकिन आखिरी में एक गरीब के मुँह से निवाला और सर से छत छीनने में प्रधान, सेक्रेटरी और खण्ड विकास अधिकारी एक भी कसर नही छोड़ते है। सरकार गरीबों के लिए योजना बनाते तो जरूर है, और वो योजना जिले में प्रवेश तो जरूर करती है, लेकिन जिले के अंदर आते ही उसमें गरीब नहीं बल्कि वहाँ के प्रधान, सेक्रेटरी और खंड विकास अधिकारी मजा मारते हैं। और इस बात की शिकायत भी कितनी कर लो, मिलती है सिर्फ एक जाँच और वो जाँच उसके हांथो से ही होती है, जिसके खिलाफ भृस्टाचार का आरोप लगता है।
पीड़ित ग्रामीण लोग
ग्राम प्रधान और अन्य अधिकारियों पर आवास घोटाला का आरोप लगाते हुए कानपुर देहात जिले के मलासा ब्लाक के भरतौली ग्रामसभा के भगवानदीन और भूपत सिंह और अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि पिछली अखिलेश सरकार में सन 2016 में ग्रामवासियों के लिए लोहिया आवास पास किये गए थे, लेकिन वो आवास पात्र गरीबों को तो मिले नहीं बल्कि वहाँ के प्रधान सुमन देवी प्रधानपति कृष्ण गोपाल ने सबंधित अधिकारियों की सह पर अपने ही पिता, चाचा और अन्य लोगो को दे दिए गए। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बताया गया कि जिस किसी भी अन्य पात्र व्यक्ति को आवास दिया गया है, उस व्यक्ति से आवास के नाम पर वहाँ के प्रधान सुमन देवी पति कृष्ण गोपाल ने 50 हजार रुपए लेने की बात बताई गई। सन 2016 से लेकर अभी तक पीड़ित ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत कर डाली, लेकिन पीड़ित लोगों ने आरोप लगाया कि जिसकी शिकायत अधिकारी से की जाती है, वही अधिकारी खुद की ईमानदारी की जाँच करने आ जाता है। इतनी शिकायत के बावजूद भी सम्बंधित उच्च अधिकारियों द्वारा किसी भी व्यक्ति पर कार्यवाई नही की गई है। जानकारी ये भी दी जा रही है कि उपरोक्त प्रधान का एक बार खाता सीज किया जा चुका है, लेकिन क्या फर्क पड़ता है, दोबारा से फिर खाता को खोल दिया गया।
अब देखना ये है कि आखिर कब तक अधिकारी गरीबो को भृस्टाचार की भेंट चढ़ाते रहेंगे, और देखना ये भी है कि सम्बंधित अधिकारी इस पर कार्यवाई करते भी है या यूँ ही प्रधान सेक्रेटरी और खंड विकास अधिकारी गरीबो ले पेट में आरा चलाते रहेंगे। जबकि जिलाधिकारी राकेश कानपुर देहात के भले ही ओडिएफ को लेकर बढ़ी बढी बाते कर रहे हो लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है जैसे कहते हैं कि डोल के अन्दर पोल बिलकुल उसी तरह जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह का ओडीएफ पूर्ण किये जाने का दावा एक झूठ सामने आया है जो आज भी कानपुर देहात में लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है आखिर कार कब तक इस प्रकार ग्रामीण लोग खुले में शौच जाने को मजबूर रहेंगे, और मलासा ब्लाक के अन्तर्गत भरतौली गाँव में तो ग्रामं प्रधान का तो एक नया सच सामने आया है वहाँ के लोगों ने बताया कि ग्राम प्रधान का कहना है कि 2000 रु शौचालय में व 50000 अवास में दो जब हम शौचालय बनवाएगें नहीं तो आपको कोई भी मेरी तरफ से सुविधा नहीं देंगे अखिर कार कब तक इस प्रकार विकास के नाम पर ग्राम प्रधान सरकार के सरकारी खजाना को लूटते रहेंगे|

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