SDM ने स्विगी से किया था रसमलाई का आर्डर, कंपनी के खिलाफ हुआ मुकदमा दर्ज

कानपुर :- हचक के भूख लगी हो और कुछ न समझ आए। ऐसे में आप किसी ऑनलाइन फूड सप्लाई करने वाली कंपनी से कुछ खाने के लिए मंगवा लें। जब खाना आए और पूरा न मिले तो जैसे आप का हाल होगा कुछ वैसा ही हाल इन जनाब का हुआ, जिन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर पर रस मलाई मंगाई थी।
 
ऑनलाइन फूड सप्लाई करने वाली कंपनियों की इस समय बहार आई हुई है। भारी डिस्काउंट पर कंपनियां घर तक खाना भिजवा रहीं हैं लेकिन यूपी के कानपुर में एक एसडीएम साहब ने रसमलाई का ऑर्डर दिया और जब रसमलाई घर पहुंची तो साहब के होश उड़ गए।
एसडीएम सदर संजय कुमार के घर जूठी और कम रसमलाई भेजने पर ऑनलाइन ऑर्डर पर फूड डिलीवरी करने वाली स्विगी के खिलाफ अपनी ही कोर्ट में वाद दर्ज कर लिया है। यह मुकदमा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 (लोक न्यू सेंस) में दर्ज किया गया है। इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट समाज के लिए किसी तरह के हानिकारक कार्य के लिए खुद ही संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज कर सकता है।
रसमलाई की डिलीवरी होने पर एसडीएम को पैकिंग खुली मिली-
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नोटिस भी जारी कर दिया है। एसडीएम ने तीन फरवरी को ऑनलाइन ऑर्डर बुक कर स्विगी से तिवारी स्वीट्स बिरहाना रोड से छह पीस रसमलाई मंगाई थी। आवास पर रसमलाई की डिलीवरी होने पर एसडीएम को पैकिंग खुली मिली। इसमें छह के बजाय चार ही रसमलाई थीं। खुली पैकिंग के कारण कुछ मिलाए जाने की आशंका में उन्होंने रसमलाई फिंकवा दी।
भूख लगने के कारण खाई दो रसमलाई-
इसके बाद ऑनलाइन शिकायत दर्ज की। कोई कार्रवाई न होने पर एसडीएम गुरुवार सुबह तिवारी स्वीट्स बिरहाना रोड पहुंचे। यहां सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में छह रसमलाई ही पैक किए जाने का खुलासा हुआ। स्विगी के सेल्समैन अफसर जसप्रीत से बात कर डिलीवरी मैन शुक्लागंज निवासी दीपक कुमार को बुलाया गया। उसने एसडीएम को लिखित बयान दिया कि भूख लगने के कारण उसने पैकिंग खोलकर दो रसमलाई खा ली थीं।
इस पर एसडीएम ने दीपक कुमार को फीलखाना पुलिस की हिरासत में दे दिया। फिर मानवीयता के आधार पर उसे छुड़ा दिया। बाद में अपनी कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया। कोर्ट ने स्विगी (बंडल टेक्नालाजी प्राइवेट लिमिटेड) चतुर्थ तल मारूधी चेंबर्स रूपेना अग्रहारा होसूर रोड बंगलूरू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर्षा मजेटी को नोटिस भेजा है। स्विगी के सेल्समैन अफसर जसप्रीत का कहना है कि दीपक कुमार को नौकरी से निकाल दिया गया है।
 
इस धारा में लिया संज्ञान-
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 (लोक न्यूसेंस) में लोगों को असुविधा में कहा गया है कि किसी तरह का ऐसा व्यापार जो समाज के स्वास्थ्य और शरीर के लिए हानिकारक है तो वाद (मुकदमा) दाखिल किया जा सकता है। सांस लेने, आवागमन में दिक्कत और शारीरिक बाधा पर भी कोई व्यक्ति या संस्था एसडीएम या एसीएम के यहां वाद दाखिल कर सकता है। एसडीएम या एसीएम खुद ही किसी मामले का संज्ञान लेकर मुकदमा चला सकता है।
हो सकती छह माह कैद-
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सिंह चौहान ने बताया कि इसके लिए धारा 268 में जन साधारण की दिक्कत के लिए छह माह की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि इस तरह के मामलों में घटना स्वयं में प्रमाण है का सिद्धांत लागू होता है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने भी ऑनलाइन ऑर्डर पर फूड डिलीवरी करने वाली कंपनियों की घेरेबंदी शुरू कर दी है। अभिहित अधिकारी विजय प्रताप सिंह का कहना है कि यह कंपनियां खाद्य पदार्थों का परिवहन करती हैं। इसके बदले कमीशन लेती हैं। इसलिए यह कारोबार की श्रेणी में आता है। जानकारी मिली है कि इन कंपनियों ने अपने दफ्तर तक नहीं खोले हैं। किसी तरह की गड़बड़ी पर इन्हें चिह्नित करना मुश्किल है। इसलिए इन कंपनियों को नोटिस देकर 15 दिन में लाइसेंस बनवाने को कहा जाएगा। लाइसेंस न बनवाने पर कारोबार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

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