शब्द ( कविता ) – डाॅ. अमलदार ‘नीहार’

अमलदार 'नीहार'

ब्द-ब्रह्म का सच्चा साधक
आराधक उसकी सत्ता का
निष्ठावान पुजारी जानो
कभी ‘रथी’ आरूढ़ प्राण बन
पार्थ सदृश मैं अर्थ अपोहित
और कभी मैं बन जाता हूँ शब्द-सारथी
पार्थ-सखा मैं हृषिकेश, मैं योगेश्वर, वह कृष्ण चतुर मैं।
रोम-रोम शब्दों की सिहरन
अर्थ-वलय में लय की थिरकन
हर धड़कन में, प्राण-पुरस्सर
नर्दित शब्द-लहर नित नर्तन ।
मैं शब्दों को छू लेता हूँ-शशक सदृश पेशल रोमावलि
और कभी वे काँटों जैसे निशित नुकीले
कँकरीले-खुरदरे-गठीले-कुछ कनेर-पत्तों से पीले
दाहक कुछ अंगार-भरे से ।
सुनता हूँ ऐसे मैं जैसे
काल-गुफा में गूँज रही ध्वनि-
मृत्यु-वधू-नूपुर की रुनझुन
सागर के उत्ताल तरंगाकुल अंतर की व्याकुल धड़कन ।
शब्दों के रस पीता रहता ऐसे जैसे विष पी जाता
आँख मूँद जीवन-अँगड़ाई के अधरों का मादक चुम्बन,
मैं शब्दों का ‘मधुप’ भ्रमर हूँ-गंधप्राण में रसिक चहेता
रस-अध्येता ।
सूँघ समझ लेता हूँ शाद्वल खेतों में क्या फूल खिले हैं,
कहाँ-कहाँ साज़िश की बू है, रंग हवा में कौन घुले हैं,
मैं शब्दों की यजन-क्रिया हूँ, मैं शब्दों का चित्रकार हूँ,
मैं शब्दों की सृष्टि प्रकाशित, मैं शब्दों का सत्य-सृजेता
शब्द-ब्रह्म में लीन अनिर्वच
परमतत्व की ज्योति-शिखा हूँ-
मैं कुबेर-सा, किन्तु अकिंचन
प्रणव-लीन, पर प्रणयी-याचक शब्दों की सत्ता के सम्मुख ।

[जिजीविषा की यात्रा-अमलदार “नीहार”]


परिचय 


  • डाॅ. अमलदार ‘नीहार’
    amaldar neehar
    डाॅ. अमलदार ‘नीहार’

    अध्यक्ष, हिन्दी विभाग
    श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया

  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और संस्कृत संस्थानम् उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश सरकार) द्वारा अपनी साहित्य कृति ‘रघुवंश-प्रकाश’ के लिए 2015 में ‘सुब्रह्मण्य भारती’ तथा 2016 में ‘विविध’ पुरस्कार से सम्मानित) । इसके अलावा अनेक साहित्यिक संस्थानों से बराबर सम्मानित।
  • अद्यावधि साहित्य की अनेक विधाओं-(गद्य तथा पद्य-कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, ललित निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, जीवनी, आत्मकथात्मक संस्मरण, शोधलेख, डायरी, सुभाषित, दोहा, कवित्त, गीत-ग़ज़ल तथा विभिन्न प्रकार की कविताएँ, संस्कृत से हिन्दी में काव्यनिबद्ध भावानुवाद), संपादन तथा भाष्य आदि में सृजनरत और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।
  • अद्यतन कुल ११ पुस्तकें प्रकाशित, २ पुस्तकें अक्टूबर-नवम्बर २०१९ तक प्रकाशित, ४ पुस्तकें प्रकाशनाधीन और लगभग डेढ़ दर्जन अन्य अप्रकाशित मौलिक पुस्तकों के प्रतिष्ठित रचनाकार : कवि तथा लेखक।

सम्प्रति :
अध्यक्ष हिन्दी विभाग
श्री मुरली मनोहर टाउन महाविद्यालय, बलिया(उ.प्र.)

मूल निवास :
ग्राम-जनापुर पनियरियाँ, जौनपुर

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