Tag: Dr Hubnath Pandey Mumbai University
विदूषक ( कविता ) – हूबनाथ पाण्डेय
उसने अभिनय किया भूख का
तमाशाइयों की ऐंठ गईं
अँतड़ियाँ भीतर तक
बच्चे बिलबिलाकर
मर गए
उसने अभिनय किया
शौर्य का
नौजवान लाशें
ताबूतों में भर भर
रवाना हुईं
वह खेतों में गया
किसान...
कवि हूबनाथ पाण्डेय की पाँच कविताएं
1. दुख
दुख
बसंत सरीखे आते थे
पत्तों के बीच से
झाँकते थे बौर आम के
कहीं अमलतास
कानों में पीले झुमके झुलाता
सकुचाया अशोक
अपनी लाली छिपाता
धीरे धीरे
बसंत की तरह खिलता...
ईद मुबारक (कविता ) – हूबनाथ पांडेय
क़ायनात की पहली ईदसाथ-साथ चलेरमज़ान और मुहर्रमएक तरफ़करोड़ों रोज़ेदारदूसरी तरफ़लाखों लड़ रहेदो घूंट पानी के लिएएक पूरी क़ौम हिजरत मेंज़िंदगी की तलाश मेंयज़ीद कौन...
मज़दूर (कविता ) – हूबनाथ पांडेय
पृथ्वी को उसके अक्ष पर
घुमाता रहता है
सूरज को खींच कर
हर रोज़ ला पटकता है
पूरबी छोर पर
धरती की कोख से
खोद निकालता है प्राण
लोहे...
गुड फ्राइडे (कविता) – हूबनाथ पांडेय
मन जब भी होता है संकट मेंसबसे पहलेतुम याद आते होयाद आता हैतुम्हारा साहसतुम्हारी ज़िदऔर सबसे ज़्यादातुम्हारी निर्भयतादुबले पतलेनिहायत मामूली जिस्म मेंआकाश जैसी आस्थाधरती...
घर में ही रहें (कविता) – हूबनाथ पांडेय
जब हम कहते हैं
घर में ही रहें
तो मान कर चलते हैं
कि इस दुनिया में
सबके पास और कुछ हो न हो
घर ज़रूर होगा ही
उनके पास...
फक्कड़ (कहानी ) – हुबनाथ पांडेय
अचानक बड़की बखरी में फक्कड़ का आदर भाव बढ़ गया। छुटकी नानी रात को गाढ़ी मलाईदार दूध का गिलास थमाते फक्कड़ से बोली कि...
मारेसि मोंहि कुठांव (कहानी) – हुबनाथ पांडेय
कुएं की पक्की जगत से कांसे का लोटा भरे गीली धोती निचोड़ते भारी देह के पुजारी बाबू जैसे ही पहली सीढ़ी पर उतरे की...
साहित्यकार को यह गलत फ़हमी है कि वह कोई बहुत बड़ा...
रीता दास राम
दूसरी कड़ी
रीता : आपकी कविता संग्रह ‘मिट्टी’ में 11 वीं कविता है “आओ ढूँढे उस मिट्टी को जिसे कभी हम सिकंदर कहते...
साहित्यकार को यह गलत फ़हमी है कि वह कोई बहुत बड़ा...
कई महीनों की कोशिश के बाद मुंबई विश्वविद्यालय के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. हूबनाथ पाण्डेय जो एक कवि, लेखक और आलोचक भी हैं, से साक्षात्कार...





































