Tag: Hubnath Pandey
ईद मुबारक (कविता ) – हूबनाथ पांडेय
क़ायनात की पहली ईदसाथ-साथ चलेरमज़ान और मुहर्रमएक तरफ़करोड़ों रोज़ेदारदूसरी तरफ़लाखों लड़ रहेदो घूंट पानी के लिएएक पूरी क़ौम हिजरत मेंज़िंदगी की तलाश मेंयज़ीद कौन...
मज़दूर (कविता ) – हूबनाथ पांडेय
पृथ्वी को उसके अक्ष पर
घुमाता रहता है
सूरज को खींच कर
हर रोज़ ला पटकता है
पूरबी छोर पर
धरती की कोख से
खोद निकालता है प्राण
लोहे...
घर में ही रहें (कविता) – हूबनाथ पांडेय
जब हम कहते हैं
घर में ही रहें
तो मान कर चलते हैं
कि इस दुनिया में
सबके पास और कुछ हो न हो
घर ज़रूर होगा ही
उनके पास...
फक्कड़ (कहानी ) – हुबनाथ पांडेय
अचानक बड़की बखरी में फक्कड़ का आदर भाव बढ़ गया। छुटकी नानी रात को गाढ़ी मलाईदार दूध का गिलास थमाते फक्कड़ से बोली कि...
मारेसि मोंहि कुठांव (कहानी) – हुबनाथ पांडेय
कुएं की पक्की जगत से कांसे का लोटा भरे गीली धोती निचोड़ते भारी देह के पुजारी बाबू जैसे ही पहली सीढ़ी पर उतरे की...
मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ‘छायावाद एक पुनर्पाठ’ विषय पर...
मुंबई: मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा 'छायावाद एक पुनर्पाठ' विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 15 और 16 मार्च को फिरोजशाह मेहता...
हूबनाथ पांडेय की पांच कविताएँ
तुम और हम
तुम जनमे
तब देश ग़ुलाम था
हम जनमे
आज़ाद देश में
तुम थे कमज़ोर
पर अपनी कमज़ोरी को
अपनी ताक़त बनाते रहे
हम अपनी ताक़त
बदलते रहे कमज़ोरी में
तुम...