कनपुरिये ने कोरोना वायरस को लेकर लिखी ऐसी कविता, पढ़कर रह जाएंगे हैरान

शैलेन्द्र सिंह यादव ● बड़े सुकून से कट रहे थे पल 

● बड़े सुकून से कट रहे थे पल, फिर मची जगत में थोड़ी हलचल।

● आ गयी थी एक नई बीमारी, नाम था जिसका कोरोना महामारी।

● ये बीमारी जो फैल रही थी पल-पल,जो बदल देने वाली थी विश्व का कल।

● चीन से शुरू हुई थी ये बीमारी, जो शायद पड़ने वाली थी सब पर भारी।

● देखते ही देखते इसने रूप लिया विकराल, जिससे होने वाला था पूरा विश्व हलाल।

● भारत में अभी थे सब इससे अंजान, क्यों कि यहां थे सब हंसते खेलते इंसान।

● फिर आया 30 जनवरी का वो पल, जिसने मचाई भारत मे थोड़ी हलचल।

● धीरे-धीरे इस बीमारी ने अपने भी पैर लिए पसार, फिर भारत मे इसका हुआ तेजी से प्रसार।

● कुछ दिनों की बंदी में गरीबों का हुआ बुरा हाल, फिर कुछ लोग आगे आये जो बने इनके पालनहार।

● अमीर तो अमीर ही रहे क्यों कि हर दिन उनका इतवार हो गया, और गरीब बेचारा मर रहा क्यों कि लंबा उसका इंतजार हो गया।

● डॉक्टर और पुलिस इस समय भगवान हो गए, जो थे सबके रखवाले कुछ की नजरों में वो गुनाहगार हो गए।

● इस संकट के समय हमें देना चाहिए सबका साथ, क्यों कि ये भारत है जनाब यहां न कोई जात-पात।

● सरकार के निर्देशों का करिये सख्ती से पालन, अन्यथा शायद झेलेंगे आप जीवन भर किसी अपने का अकेलापन

【शैलेन्द्र सिंह यादव {Youtube.com/SSGURU}】

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