“एक और द्रोणाचार्य : विविध परिप्रेक्ष्य” विषय पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

आनंदप्रकाश शर्मा | NavprabhatTimes.com

मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा संचालित बी.एम.रूइया गर्ल्स कॉलेज के हिंदी-विभाग ने 10 और 11अक्टूबर 2017 को “एक और द्रोणाचार्य : विविध परिप्रेक्ष्य” विषय पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में एस.एन.डी.टी. व मुम्बई विश्वविद्यालय तथा उनसे जुड़े महाविद्यालयों एवं अनेक राज्यों के विश्व-विद्यालयों एवं उनसे संलग्न विभिन्न महाविद्यालयों से आये लगभग 60 प्रत्याशियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

इस अवसर पर विभिन्न सत्रों के अध्यक्ष की भूमिका में मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष एड्वोकेट सुशील व्यास, डॉ नवनीत चौहान(सरदार पटेल विश्व-विद्यालय,आंणद, गुजरात),डॉ सुशीला गुप्ता (हिंदुस्तानी प्रचार सभा मुम्बई की विशेष कार्य अधिकारी), डॉ सुनीता साखरे (एस एन डी टी विश्व-विद्यालय), डॉ हूबनाथ पांडेय ( मुम्बई विश्व-विद्यालय) उपस्थित थे । विभिन्न सत्रों के मुख्य अतिथि की भूमिका बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज के संयोजक श्री श्रीकांत डालमिया, डॉ रीताकुमार (हिंदुस्तानी प्रचार सभा की शोध अधिकारी ), डॉ महेंद्र गुहा (एम डी शाह महिला महाविद्यालय विभागाध्यक्ष ), डॉ शीतला प्रसाद दूबे (के सी महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष) ने निभाई । प्रत्येक सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में रंगकर्मी डॉ वसुधा सहस्त्र बुद्धे, डॉ प्रज्ञा शुक्ला(एम डी शाह महिला महाविद्यालय),डॉ शशिकला राय(पुणे विद्यापीठ), डॉ मनप्रीत कौर (गुरुनानक महाविद्यालय) विद्यमान थीं । प्रपत्र-वाचकों-डॉ सत्यवती चौबे (विल्सन कॉलेज), श्री योगेश अनवेकर (खालसा कॉलेज), डॉ सुनीता मिश्रा(बी एम रूइया गर्ल्सकॉलेज), डॉ गीता यादव (नासिक),डॉ शोभासाहेब राणे (नासिक),डॉ चम्पा मासीवाल (ऑक्सफ़ोर्ड बी एड कॉलेज), डॉ किरण सिंह (एम एम पी शाह कॉलेज), डॉ सुमा टी (मंगलूर),श्रीमती नीलम चेतीवाल (बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज), श्रीमती अनीता जैन( बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज), डॉ गुरुदत्ता (मंगलूर), श्रीमती महेश्वरी मुरुडेश्वर (बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज), डॉ शोभा पवार (सांगली), डॉ भगवती प्रसाद उपाध्याय (डोम्बिवली), डॉ उर्मिला सिंह (के ई एस श्रॉफ कॉलेज), डॉ हीरल ठाकुर (एम डी शाह महिला महाविद्यालय), श्रीमती मंजू यादव ( बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज) ने अपने प्रपत्रों के माध्यम से हिंदी नाटकों, नाटककार शंकर शेष व उनके चर्चित नाटकों, तथा एक और द्रोणाचार्य नाटक के विविध आयामों को रेखांकित किया। जिससे विद्यार्थी लाभान्वित हुए।

"एक और द्रोणाचार्य : विविध परिप्रेक्ष्य"

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में एड्वोकेट श्री सुशील व्यास जी ने शंकर शेष के अन्य चर्चित नाटकों की प्रासंगिकता को बताते हुए एक और द्रोणा चार्य की चर्चा की। संयोजक श्री श्रीकांत डालमिया जी ने शिक्षा के महत्व को बताते हुए गुरु और शिष्य के सम्बन्ध तथा साहित्य की महत्ता को रेखांकित किया। अपने बीज- वक्तव्य में डॉ नवनीत चौहान ने नाटकों के विकास की चर्चा करते हुए शंकर शेष के नाटकों तथा उनकी नाटकीयता, रंगमंचीयता पर प्रकाश डालते हुए एक और द्रोणाचार्य के संवादों की नाटकीय रूप में प्रस्तुति की। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सन्तोष कौल काक ने अपनी प्रास्ताविकी प्रस्तुत करते हुए शिक्षा जगत की वर्तमान स्थिति और एक और द्रोणाचार्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

"एक और द्रोणाचार्य : विविध परिप्रेक्ष्य"

इस दो दिन के सेमिनार के विषय मंथन पर अपनी प्रतिक्रिया डॉ. सरस् पांडेय (पी डी लायन्स कॉलेज), श्री कैलाश गुलाबराय चौहान (एल जे एन जे कॉलेज), श्रीमती श्रुति रानडे ( बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज), डॉ. उषाकिरण तिवारी (बी एम रूइया गर्ल्स कॉलेज), श्री रामलखन पाल (बी एम रूइया गर्ल्स कलेवे) ने व्यक्त की।

संगोष्ठी का प्रारम्भ अतिथियों के कर- कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। तदनन्तर महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । संगोष्ठी का अंत धन्यवाद ज्ञापन की औपचारिकता से हुआ ।

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