दुनिया
सर्जिकल स्ट्राइक में लश्कर-ए-तैयबा को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान, 20 आतंकी मारे गए
नवप्रभात टाइम्स
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
खुफिया एजेंसियों द्वारा पकड़ी गई बातचीत संबंधित आकलन रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकी ठिकानों पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को भारी नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट के मुताबिक लश्कर के लगभग 20 आतंकवादी मारे गए।
खुफिया एजेंसी के मुताबिक हाल के दिनों में आतंकियों का पुलिस स्टेशन को निशाना बनाना और हथियार...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
स्वास्थ्य ही जीवन का मूल है। एक सुखी स्वस्थ जीवन के लिए तन और मन दोनों का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। आपने कभी सोचा है, या ध्यान दिया है कि जब हम बीमार होते हैं, तब हमको कुछ भी अच्छा नहीं लगता। न हम ठीक से काम कर पाते हैं, न आराम और न ही कुछ और।...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में शुक्रवार को सिलसिलेवार दोहरे बम विस्फोट में एक ट्रेन को निशाना बनाया गया, जिसमें कम-से-कम चार लोगों की मौत हो गई और 16 घायल लोग बताये जा रहे हैं। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोट बोलन जिले में क्वेटा से रावलपिंडी की ओर जा रही जाफर एक्सप्रेस के गुजरने के दौरान...
देश
अक्षय ने तोड़ी चुप्पी, कहा-सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगनेवालों को शर्म आनी चाहिए
नवप्रभात टाइम्स
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
मुंबई: उरी हमले के बाद भारत की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगने वालों को फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने करारा जवाब दिया है। अक्षय ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के लक्षित हमलों पर उठाये जा रहे सवालों की...
- रीता दास राम
आखिर किस सुख को तरसे मन ..
तमाम हालात को कर आत्मसात
रहता है कोई खंडहर में,
अँधेरों से भरे उजालों में
राजनीति के अखाड़े में
अपनी संस्कृति को भाँजते
इंसानियत की प्यास को समेटे
पीता है पसीने का रक्त
वमन करता हैवानियत
समाज के चबूतरों पर
आखिर किस सुख को तरसे मन ......
न फिक्र बालमन की
न लड़कपन की परवाह
जीता है कोई एक रात जिंदगी
एक ऋतु...
रीता दास राम , पी.एच.डी. शोध छात्रा, मुंबई विश्वविद्यालय
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की 107 वीं जयंती के सुअवसर पर पवित्र भूमि काशी (उ.प्र) के प्रसिद्ध बनारस विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) परिसर स्थित ‘स्वतंत्रता भवन’ में “भारतीय शिक्षा संस्कृति महोत्सव” संपन्न हुआ। 23, 24, 25 सितंबर 2015 प्रातः 11 से रात्रि 9 बजे तक तीन दिवसीय भव्य आयोजन राष्ट्र कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’...
रीता दास राम , पी.एच.डी. शोध छात्रा, मुंबई विश्वविद्यालय
“अपने जन्म के लिए भी जो मोहताज है उसकी कोख का,
जाने क्यों स्त्री उस पुरुष पर निर्भर होती है।”
उपन्यासकारों में सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कार प्रेमचंद और उनका साहित्य भारतीय संस्कृति की धरोहर है, पहचान है। जितनी शिद्दत से उन्होंने समाज की अन्य समस्याओं पर लेखनी चलाई है, उतनी ही सूक्ष्म दृष्टि नारी की...
रतनकुमार पाण्डेय,
बनारस वरुणा (बरना) नदी और अस्सी के बीच बसे होने के कारण यह वाराणसी कहलाया। बाद में यह बोलचाल में घिसकर ‘बनारस’ हो गया। ब्रिटिश हुकूमत में यह बेनारस (Banaras) बन गया था। इसका प्राचीन नाम काशी है। धर्म–प्राण भारत–भूमि का प्राचीन नाम काशी इतना प्राचीन है, जितना प्राचीन स्वयं हिन्दू–धर्म। काशी को ‘अपुनर्भव भूमि’ (मरने के बाद पुनर्जन्म...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
समसामायिक हिंदी कविता गहरे सामाजिक सरोकारों की कविता है। वह मानवीय संबंधों के प्रति अतिशय संवेदनशील है। उसमें टुकड़ो में ही सही, लेकिन वर्तमान सभ्यता और समाज का समग्र चित्र विद्यमान है। समय और परिस्थिति का दबाव भले ही कवि को अपने में सिमटने पर विवश करे, पंरतु वह पर-दुख-ताप से पिघलकर अपने व्यक्तित्व में दरिया का विस्तार महसूस करता...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
मानव रूप में जीवन बड़े ही सौभाग्य की बात है। आज संपूर्ण विश्व का आधिपत्य मानव के ही हाथ में है। मनुष्य का एक प्रबल पक्ष यह है कि वह अपनी अनुभूतियों को प्रत्यक्ष रूप से प्रकट कर सकता है। इस प्रकटीकरण का एक अत्यंत सशक्त माध्यम है - ‘कविता’। ‘कविता’ को समझने के लिए एक संवेदनशील हृदय होना अति आवश्यक है।
आज...